नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि मौद्रिक दरों में आगे और कमी की गुंजाइश है लेकिन वह अपने शस्त्रों को भविष्य में इस्तेमाल के लिए बचाकर रखने के पक्ष में हैं। दास ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिए इनका उपयुक्त वक्त पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हाल में समीक्षा बैठक के दौरान ये बात सामने आई है।
आरबीआई की एमपीसी की इस महीने की शुरुआत में हुई 3 दिवसीय बैठक की कार्यवाही की जानकारियां जारी की गईं है। रिजर्व बैंक गवर्नर दास की अगुवाई वाली समिति ने यथास्थिति बरकरार रखते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि, समिति ने अपना रुख उदार बनाये रखा, जिससे भविष्य में कोविड-19 की महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए जरूरत पड़ने पर दरों में आगे कटौती की गुंजाइश के संकेत मिलते हैं।
समीक्षा बैठक में दास ने यह भी कहा कि इस स्तर पर वृद्धि और महंगाई के दृष्टिकोण से एक मजबूत आकलन के लिए इंतजार करना विवेकपूर्ण होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था धीरे धीरे खुल रही है। आपूर्ति में रूकावट कम होती दिख रही हैं और मूल्य जानकारियां पाने का स्वरूप स्थिर हो रहा है। उन्होंने कहा कि घरेलू और बाहरी मांग के बीच कम क्षमता के उपयोग से निवेश मांग के पुनरुद्धार में देरी की संभावना संभावना है।
दास ने कहा कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के इस साल की पहली छमाही में सिकुड़ने की आशंका है। वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वृद्धि के नकारात्मक रहने का अनुमान है। दास ने कहा कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर समूचे खाद्य और उपभोक्ता मूलय सूचकांक में आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट की आशंका की स्थिति में दबाव होना गंभीर चिंता का विषय है।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2019 के बाद से रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कुल 2.50 फीसदी की कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 29 सितंबर से एक अक्टूबर 2020 को होनी तय है। (एजेंसी, हि.स.)
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