इंदौर। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने कावड़ यात्रा मार्ग में आने वाली दुकानों के साइन बोर्ड पर उनके मालिकों के नाम लिखने के आदेश दिए हैं, जिसको लेकर देशभर की राजनीति जहां गरमाई हुई है, वहीं इंदौर के भी दो भाजपा विधायकों के साथ-साथ उज्जैन के महापौर ने भी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से इस फैसले को लागू करने की मांग कर डाली थी, लेकिन मुख्यमंत्री फिलहाल इस पर सहमत नजर नहीं आए।
इंदौर के विधायक रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि दुकानदारों को उनका नाम बोर्ड पर लिखना चाहिए और इसे इंदौर सहित पूरे प्रदेश में अनिवार्य किया जाए। मेंदोला ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को जहां पत्र भी लिखा है, वहीं उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल ने दो साल पहले निगम परिषद् द्वारा पारित प्रस्ताव का हवाला देते हुए उज्जैन शहर में भी होटल, लॉज, रेस्टोरेंट पर नाम-मोबाइल नम्बर लिखने की मांग तक कर डाली। मगर मोहन सरकार की दुकान मालिकों के नाम बोर्ड पर लिखवाने में फिलहाल कोई रुचि नजर नहीं आई। यहां तक कि नगरीय विकास और आवास मंत्रालय ने भी स्पष्ट कर दिया कि कुछ निकायों से इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कावड़ यात्रियों के मार्ग में दुकानों पर उनके मालिकों के नाम लिखवाए जाएं, जबकि इस संबंध में विभाग या शासन स्तर पर कोई निर्देश जारी नहीं किए गए और न ही इसकी अनिवार्यता है।
सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका पर आज सुनवाई
कावड़ यात्रा मार्ग पर पहचान के साइन बोर्ड लगाने की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर आज सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस आदेश से भेदभाव और जातियों में न केवल वैमनस्यता बढ़ेगी, बल्कि इसे यदि नहीं रोका गया तो आर्थिक विभाजन का यह आदेश देशभर में लागू होने लग जाएगा।
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