नई दिल्ली: बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद ही हाहाकार मचा हुआ है. राजनीतिक अस्थिरता और हुल्लड़बाजी की सबसे गहरी चोट अर्थव्यवस्था को लगी है. बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की आधार स्तम्भ गारमेंट इंडस्ट्री खस्ताहाल है. बांग्लादेश की 80% से अधिक निर्यात आय और लगभग 11% जीडीपी का दारोमदार जिस इंडस्ट्री पर था, वो आज अंतिम सांसें गिन रही है. पिछले छह महीनों में 5-7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऑर्डर बांग्लादेश गारमेंट इंडस्ट्री खो चुकी है और करीब 800-900 फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं. बांग्लादेश गारमेंट इंडस्ट्री की खस्ताहाल से भारत को खूब फायदा हुआ है. 2024-25 में भारत का कपड़ा निर्यात 8.5% बढ़कर 7.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और पिछले छह महीनों में 60,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कारोबार भारत को बांग्लादेश में मचे कोहराम से हासिल हुआ है. अगर यह रुझान जारी रहा तो भारत 2030 तक अपने 9 लाख करोड़ रुपये के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने की राह पर तेजी से बढ़ सकता है.
बांग्लादेश की इस अस्थिरता ने वैश्विक खरीदारों जैसे H&M, Zara और Walmart को वैकल्पिक बाजारों की ओर मोड़ा, जिसमें भारत प्रमुख रहा है. भारत ने अपनी उत्पादन क्षमता, स्थिरता और मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाकर इस अवसर को भुनाया है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-सितंबर के दौरान भारत का परिधान निर्यात 8.5% बढ़कर 7.5 बिलियन डॉलर (लगभग 63,000 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया. सितंबर 2024 में रेडीमेड गारमेंट्स का निर्यात 17.3% बढ़कर 1.11 बिलियन डॉलर हो गया, जो बांग्लादेश से ऑर्डर शिफ्ट होने का संकेत देता है. जुलाई-दिसंबर 2024 में भारत के कुल कपड़ा निर्यात में सालाना आधार पर 13% की वृद्धि हुई.
बांग्लादेश का मासिक परिधान निर्यात 3.5-3.8 बिलियन डॉलर का होता था. उसकी यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बाजारों में बड़ी हिस्सेदारी थी. पिछले साल तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश के 10-11% ऑर्डर भारत की ओर शिफ्ट हो गए इनमें निरंतर वृद्धि हो रही है. उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत ने पिछले छह महीनों में बांग्लादेश के संकट से 60,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कारोबार हासिल किया.
बांग्लादेश की गारमेंट इंडस्ट्री 40 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और करीब 1.5 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती है, जिसमें बड़ी तादात महिलाओं की है. अगस्त 2024 में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा और वे देश छोड़कर चली गईं. शेख हसीना के जाते ही गारमेंट इंडस्ट्री के बुरे दिन शुरू हो गए. देश में फैली अराजकता ने फैक्ट्रियों को ठप कर दिया, कर्फ्यू, इंटरनेट ब्लैकआउट और हिंसा के चलते उत्पादन रुक गया. बांग्लादेश गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (बीजीएमईए) के अनुसार, इससे 6,400 करोड़ टका (लगभग 540 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का नुकसान हुआ.
रही-सही कसर 2024 में आई भयानक बाढ़ ने पूरी कर दी. बाढ से लॉजिस्टिक्स प्रभावित हुआ जिससे चट्टोग्राम बंदरगाह से कपास की शिपमेंट में देरी हुई और उत्पादन में भारी कमी आई. मई 2024 में साइक्लोन रेमल ने एक एलएनजी टर्मिनल को नुकसान पहुंचाया, जिससे गैस की भारी किल्लत हुई. इससे फैक्ट्रियां 30% क्षमता पर चलने को मजबूर हुईं. ऊर्जा संकट और बढी महंगाई से उत्पादन लागत 20-33% बढ़ गई. बांग्लादेशी उत्पाद महंगे हो गए और इसका फायदा भारत को हुआ.
बांग्लादेश के कई बड़े गारमेंट कारोबारी शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही ‘गायब’ हैं. जानकारों का कहना है कि वे देश देश छोड़कर जा चुके हैं. अधिकतर कारोबारियों को शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग का करीबी माना जाता रहा है. इस वजह से वे आंदोलनकारी छात्रों के निशाने पर रहे. हालात बिगड़ने पर वे देश छोड़ गए और उनकी फैक्ट्रियां बंद हो गई. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के विदेशी निवेश सलाहकार सलमान एफ. रहमान की गारमेंट कंनी बेक्सिमको भी बंद होने वाली गारमेंट कंपनियों में शामिल है. बीते सात माह में बेक्सिमको की 15 फैक्ट्रियां पूरी तरह बंद हो गई हैं. इसके अलावा, आवामी लीग के मंत्री गाजी दस्तगीर की भी कई फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं. बेक्सिमको कर्मचारियों को बेहतर वेतन और बोनस देने के लिए जानी जाती थी.
बांग्लादेश के प्रमुख कपड़ा उद्यमी अनंता जलिल ने पिछले हफ्ते ही आरोप लगाया कि बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस जबरदस्ती गारमेंट इंडस्ट्री को बंद करवा रहे हैं. एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए जलिल ने आरोप लगाया कि लाखों मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं और बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पकड़ खो रहा है. उन्होंने कहा कि यूनुस सरकार सभी प्रोत्साहनों को खत्म कर रही है, खासकर रमजान और ईद के मौके पर. यह बयान बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिछले साल अगस्त में सत्ता से हटने के बाद पहली बार किसी बड़े उद्योगपति ने इस तरह सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताई है.
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