डेस्क: बांग्लादेश में पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व में हुए जबरदस्त जनप्रदर्शन ने बांग्लादेश की राजनीति की दिशा ही बदल दी. भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और सत्तावाद के खिलाफ उठी आवाजो ने जनांदोलन का रूप ले लिया और आखिरकार अवामी लीग की सरकार गिर गई. इसके बाद 77 वर्षीय प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा और वे भारत में शरण लेने आ गईं.
बांग्लादेश पुलिस के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB) ने 19 अप्रैल को इंटरपोल से शेख हसीना और 11 अन्य लोगों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया है. यह अनुरोध बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) की तरफ से जारी गिरफ्तारी वारंट के आधार पर किया गया है. इन लोगों पर मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के गंभीर आरोप लगे हैं, जो कथित रूप से शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान घटित हुए.
रेड कॉर्नर नोटिस कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं होता, बल्कि इंटरपोल की तरफ से सदस्य देशों को भेजा गया एक अनुरोध होता है कि उस व्यक्ति का पता लगाया जाए. उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार किया जाए, ताकि उसे प्रत्यर्पण के लिए सौंपा जा सके. सदस्य देश इस नोटिस पर कार्रवाई करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं होते, यह पूरी तरह उनके घरेलू कानूनों और राजनीतिक मंशा पर निर्भर करता है.
इस स्थिति में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत को शेख हसीना को सौंपना ही पड़ेगा. भारत को सबसे पहले यह देखना होगा कि लगे आरोप राजनीतिक प्रकृति के हैं या नहीं. अगर भारत को यह प्रतीत होता है कि शेख हसीना के खिलाफ की गई कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है तो वह प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है.
इसके अलावा भारत और शेख हसीना के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से काफी घनिष्ठ रहे हैं. हसीना के शासन में भारत और बांग्लादेश के बीच सुरक्षा सहयोग, सीमा प्रबंधन और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर महत्वपूर्ण साझेदारी रही है. ऐसे में भारत के लिए यह केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि एक अत्यंत संवेदनशील कूटनीतिक विषय भी है.
8 अगस्त को जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बनी, तब नोबेल विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया. सरकार के गठन के कुछ ही हफ्तों बाद, ICT ने शेख हसीना और कई पूर्व मंत्रियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया. इसके बाद नवंबर में ICT ने पुलिस से इंटरपोल की मदद लेने की औपचारिक अपील की थी. 21 जनवरी को अंतरिम सरकार ने यह स्पष्ट किया कि वे शेख हसीना को भारत से वापस लाने के प्रयास कर रहे हैं. अगर जरूरत पड़ी तो वे अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी मांग सकते हैं.
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