– सुरेश हिंदुस्तानी
केंद्र सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल का अंतरिम बजट प्रस्तुत कर दिया है। इस बजट में हालांकि कोई व्यापक परिवर्तन नहीं किया है, लेकिन जिस प्रकार पिछले बजट के कारण भारत की दशा और दिशा सुधरी हुई दिखाई देती है, वैसी ही राह का अनुसरण इस बार के बजट में किया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले बजटों के माध्यम से भारत ने अर्थव्यवस्था के मामले में नए कीर्तिमान बनाते हुए एक वैश्विक आयाम स्थापित किया है। जिसकी चर्चा पूरे देश में तो है ही, साथ विश्व के अनेक देश भारत के इन आर्थिक कदमों की प्रशंसा कर रहे हैं। कोरोनाकाल में जहां एक ओर विश्व के अनेक बड़े देशों की अर्थ व्यवस्था धराशायी हो गई थी, वहीं भारत ने सीना चौड़ा करके एक ऐसी राह का निर्धारण किया, जो भारत को विकसित बनाने में समर्थ है। इस बार का बजट भी निश्चित ही भारत को गरीबी से उबारने का सामर्थ्य पैदा करने वाला ही कहा जाएगा, क्योंकि इस बजट में केंद्र सरकार ने उन बातों पर पुनः फोकस किया जो भारत की गरीब जनता के लिए प्रगति का द्वार खोलती हैं।
केंद्र सरकार भारत की जनता को जातियों के आधार पर नहीं देखती। उसकी नजर में देश में केवल चार ही जातियां हैं। जिसमें किसान, युवा, महिला एवं गरीब ही आते हैं। यह किसी भी जाति का क्यों न हो… इसके लिए इस बजट में भी ध्यान रखा गया है। वास्तव में जिस देश में यह चार वर्ग सशक्त हो जाएं तो उस देश को प्रगति की राह पर जाने से कोई नहीं रोक सकता। मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत ने विकास के रास्ते पर दौड़ लगाई है। इस देश में अब तक करोड़ों वास्तविक गरीबों को आवास मिला है। इसके पूर्व सरकारी सुविधा से निर्मित आवासों में बंदरबांट होता रहा है। जिसमें कई आवास नेताओं के परिजनों को ही मिल जाते थे, जो एक बड़े घोटाले का रूप ले चुका था। केंद्र की मोदी सरकार ने इसमें पारदर्शी तरीके से कार्य करते हुए उन्हीं गरीबों को आवास उपलब्ध कराए, जिनको वास्तव में जरूरत थी। यह आवास हर वर्ग को उपलब्ध कराए, फिर चाहे वह हिन्दू हो अथवा मुसलमान। सरकार भारत की समस्त जनता को अपना परिवार मानकर कार्य कर रही है। उसका नारा भी सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ही है। इस बार के बजट में केंद्र सरकार ने प्रावधान किया है कि आगामी समय में देश के गरीब समाज को गरीबी से बाहर निकालने के लिए दो करोड़ आवास निर्मित किए जाएंगे। इससे जिन मजदूरों की आय का बड़ा हिस्सा मकान किराये के रूप में व्यय होता था, उससे बचा जा सकेगा। मोदी सरकार का यह कदम मोदी की गारंटी को पूरा करने वाला ही कहा जाएगा। इसलिए इस बजट को मोदी की गारंटी को पूरा करने वाला भी कहा जा रहा है। कुल मिलाकर इस बजट को गरीबों को सशक्त बनाने वाला बजट निरूपित किया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
केंद्र सरकार ने इस बजट में व्यापारी वर्ग का भी खास ध्यान रखा है। सरकार ने आयकर को यथावत रखा है। इसी प्रकार महिलाओं के विकास पर भी जोर दिया गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इस बजट के माध्यम से तीन करोड़ और महिलाओं को लखपति बनाया जाएगा। विकास की आधारशिला का मुख्य सूत्र माने जाने वाले अधोसंरचना पर भी मोदी सरकार ने प्रमुखता से ध्यान दिया है। इसके विकास के लिए बजट में बढ़ोतरी की है। कहा जाता है जिस देश की अधोसंरचना मजबूत होती है, वह देश विकास की राह पर तेज गति से भागता है। क्योंकि इससे समय की बचत होती है और काम भी आसान हो जाता है। यातायात को सुगम बनाने की दिशा में यह बजट बहुत ही प्रभावी माना जा रहा है। हालांकि जब से मोदी सरकार आई है, तब से अधोसंरचना को विकसित करने के तीव्र गति से कार्य किए जा रहे हैं। जो काम वर्षों में होता था, वह काम इस सरकार के कार्यकाल में महीनों में उच्च गुणवत्ता के हो रहे हैं। इन कामों में पारदर्शिता लाई गई है। इसी प्रकार रेलयात्रियों की सुविधा के लिए भी व्यापक रूपरेखा भी इस बजट में दिखाई देती है। 40 हजार सामान्य श्रेणी के कोचों को वंदे भारत की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। जिससे भारत की गरीब जनता की रेल यात्रा आरामदायक हो सके। इसी प्रकार अधूरे पड़ी रेल परियोजना को भी बहुत जल्द पूरा करने का भी प्रावधान इस बजट में किया गया है। साथ ही तीन नई परियोजना को भी प्रस्तावित किया गया है। इससे यह बजट बहुत ही संतुलित बजट माना जा रहा है।
मोदी सरकार का यह बजट आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया एक ऐसा कदम माना जा रहा है, जो भारत की मजबूती के लिए नई तस्वीर निर्मित करेगा। आज भारत की जो मजबूत छवि विश्व के देशों में दिखाई दे रही है, वह वर्तमान केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण ही संभव हो सका है। भारत फिर से उसी राह पर उसी राह पर मजबूती के साथ कदम बढ़ा रहा है, जो विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए कहा सकता है। यही कदम भारत को विश्व गुरु के सिंहासन पर आसीन करने वाला होगा।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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