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    मोदीजी की लोकप्रियता 24%घटी

  • May 16, 2021

     

    देश से लेकर पूरी दुनिया ने सवाल उठाए
    प्रधानमंत्री खामोश… जनता में रोष
    नई दिल्ली। भारत के अब तक के प्रधानमंत्रियों में सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की लोकप्रियता (popularity) तेजी से घटती जा रही है…पूरे बहुमत के साथ दो बार सरकार बनाने वाले प्रधानमंत्री की लोकप्रियता 64 प्रतिशत से घटकर 40 प्रतिशत पर आ गई है…देश से लेकर पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बरसों की ख्याति एक माह की लापरवाही में धूल गई… प्रधानमंत्री (Prime Ministers) से पूरी तरह असंतुष्ट लोगों की तादाद 15 प्रतिशत से बढक़र जहां 32 प्रतिशत हो गई, वहीं वर्तमान हालात और संकट से जूझते देश में मोदीजी को मौतों का जिम्मेदार मानने वालों की तादाद 50 प्रतिशत तक पहुंच गई… हालांकि मोदी से नाराज लोग अब भी उनके विकल्प के रूप में किसी और नेता को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं… यही एक कारण उन्हें सैफ झोन में रखे हुए हैं, लेकिन देशभर में मची अव्यवस्था और मौतों ने मोदी पर से लोगों का विश्वास उठा दिया…
    देश से लेकर दुनिया तक में छाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की लोकप्रियता (popularity) को भी कोरोना हो गया…उनकी मरती लोकप्रियता (popularity) को न ऑक्सीजन मिल रही है और न ही अस्पताल… अब तक के कार्यकाल में भारतभर में मोदीजी के चहेते जहां सीना तानकर उनका गुणगान करते थे वे अब जहां सफाई देते नजर आ रहे हैं और लड़-झगडक़र अपनी बात लोगों के कानों में डाल रहे हैं, वहीं मोदी पुराण गाने वाले चैनलों पर भी अब भूले-भटके मोदी का नाम सुनाई देता है… देश में जहां प्रधानमंत्री (Prime Ministers) को कोसने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है, वहीं विदेशों में भी मोदी को नाकाम बताते हुए कार्टून बनाए जा रहे हैं…अब तो देसी मीडिया भी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए नाकाम बता रहा है… इंडिया टुडे से लेकर आउटलुक मैग्जीन और देश का हर समाचार पत्र लाशों से पटे भारत की तस्वीर के साथ जलती चिताएं…श्मशानों में अंतिम संस्कारों के लिए जूझते लोग और अब उत्तरप्रदेश की नदियों में बहती लाशों के समाचार छाप रहे हैं…पूरे देश के इस परिदृश्य को देखकर भडक़े लोगों का मोदी पर से विश्वास उठता जा रहा है…जो लोग अब तक मोदी के कट्टर समर्थक रहे हैं वे भी अब देश की हालत देखकर उनसे किनारा करते नजर आ रहे हैं…जनता के इस रोष को देखकर प्रधानमंत्री भी खामोश नजर आ रहे हैं…


    सात साल में पहली बार विरोध का पन्ना
    अपनी पहली सरकार की ताजपोशी में ही ख्याति अर्जित करने वाले प्रधानमंत्री मोदी (Prime MinisterModi) दुनियाभर में लोकप्रिय होते चले गए…भारत से दूरी बनाने वाले अमेरिका के बराक ओबामा हों या डोनाल्ड ट्रंप सबने मोदी को माथे पर बिठाया तो ब्रिटेन से लेकर दुनिया के हर पश्चिमी देश ने भारत की तरक्की में विश्वास जताया… प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का चाहे नोटबंदी का फैसला रहा हो या कश्मीर से धारा 370 हटाने का…बिना विवाद मंदिर निर्माण की राह बनाने, तीन तलाक हटाने, जीएसटी लागू करवाने जैसे तमाम फैसलों पर विदेशी मीडिया ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाते हुए लोकप्रियता बढ़ाई…फिर सर्जिकल स्ट्राइक ने तीसरी बार सत्ता दिलवाई…लेकिन अब सात साल में पहली बार विदेशी मीडिया मोदी के कार्टून बना रहा है तो देसी मीडिया भी सरकार को नाकाम से लेकर लापता तक बता रहा है…


    आलोचकों के ट्वीट… जिसके पास था हर समस्या का हल वही देश की समस्या बन गया
    सोशल मीडिया पर अब तक मोदी समर्थकों का एकाधिकार रहा, लेकिन अब उनके विरोधियों ने भी मुंह खोलना शुरू कर दिया…मोदी समर्थक जहां प्रायोजित नजर आते थे, वहीं उनके विरोधी वो आक्रोशित लोग हैं जो देश की हालत को देखकर बुरी तरह भडक़े हुए हैं और जुमलों से ख्याति अर्जित करने वाले प्रधानमंत्री (Prime Ministers) पर उन्हीं के लहजों में शब्दों के प्रहार करते नजर आ रहे हैं… ट्वीटर से लेकर वॉट्सऐप पर प्रचलित संदेशों में मौतों के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराते लोग तब और अब का फर्क बताते हुए लिखते हैं कि जिसके पास हर समस्या का हल था वही आदमी देश की समस्या बन गया…तो कोई लाशों पर सत्ता का खेल…और चिताओं की आग पर सत्ता की रोटी जैसे आक्रोशित शब्दों से अपनी भावनाएं उजागर कर रहे हैं… मोदी समर्थक इन प्रहारों की सफाई देते हुए शस्त्र उठाते हैं, लेकिन सवालों के आगे वे खुद बेदम हो जाते हैं…यहां तक कि अब तक मोदी के चहेते रहे अभिनेता अनुपम खेर जैसे लोग भी उन सवालियों में शामिल हो गए जो मोदी को वर्तमान परिस्थितियों का जिम्मेदार मानते हैं…

    फिर भी मोदी का कोई विकल्प नहीं
    मोदी को नापसंद करने वाले लोगों की तादाद भले ही बढ़ी हो, लेकिन जो लोग मोदी को लेकर शिकायत कर रहे हैं, वह इस बात को भी स्वीकार कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री (Prime Ministers) के रूप में देश के पास मोदी से बेहतर कोई विकल्प नहीं है… यदि मोदी किसी काम को ठान लें तो वे करके छोड़ते हैं..फिर वह चुनाव हो या कोरोना नियंत्रण…मोदी यदि चुनाव का चयन नहीं करते तो बेहतर तरीके से कोरोना पर नियंत्रण हो जाता…

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