नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम (Loksabha) सबके सामने आ चुके हैं। पिछली 2 बार से अपने दम पर केंद्र में सरकार बना रही भाजपा (BJP is forming government at the center) इस बार केवल 240 सीटों पर सिमट गई और बहुमत के लिए 272 सीटों का जादुई आंकड़ा नहीं छू पाई। हालांकि, अपने सहयोगी दलों के साथ वह लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने जा रही है। उसके लिए संकटमोचक बन कर उभरे हैं तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू (16 सीट) और बिहार के मुख्यमंत्री व जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के मुखिया नीतीश कुमार (12 सीट)।
लेकिन, भाजपा के सामने समस्या यह है कि ये दोनों ही नेता कभी भी पलटी मार सकते हैं। ऐसा उनका इतिहास कहता है। अगर आने वाले समय में ऐसी स्थिति बनती है तो ऐसे में 16 ऐसे सांसद भाजपा के संकट का समाधान कर सकते हैं। ये 16 सांसद अभी किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। मान लीजिए कि आने वाले समय में जदयू और टीडीपी ने एनडीए से किनारा किया तो उसके पास 264 सीटें रह जाएंगी। ऐसे में बहुमत के लिए उसके पास 8 सीटें कम पड़ जाएंगी। इस स्थिति में अगर वो छोटी पार्टियां या सांसद एनडीए का हिस्सा बन जाते हैं जो अभी तक किसी भी गठबंधन में नहीं हैं तो भाजपा का रास्ता फिर साफ हो जाएगा। बता दें कि ऐसे सांसदों की संख्या 17 थी। लेकिन इनमें से एक निर्दलीय सांसद ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
अब भाजपा की कोशिश बाकी निर्दलीय या छोटी पार्टियों के सांसदों को अपनी ओर खींचने की रहेगी। इन 16 सांसदों में वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी के 4 नेता हैं। इसके अलावा 6 अलग-अलग पार्टियों के पास एक-एक सांसद है। ये पार्टियां हैं शिरोमणि अकाली दल, एआईएमआईएम, आजाद समाज पार्टी-कांशीराम, भारत आदिवासी पार्टी, वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी और जोरम पीपल्स मूवमेंट।
इसके अलावा इस लोकसभा चुनाव में सात निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत हासिल कर सांसद बने हैं। इनमें से महाराष्ट्र के सांगली से जीतने वाले विशाल कांग्रेस को समर्थन देने का मन बना चुके हैं। लेकिन, बाकी 6 सांसदों ने अभी किसी पार्टी का हाथ नहीं थामा है। ये सात निर्दलीय सांसद बिहार के पूर्णिया से पप्पू यादव, पंजाब के खडूर साहिब से प्रकाश बापू पाटिल, पंजाब के फरीदकोट से सरबजीत सिंह खालसा, दवन दीव से उमेशभाई बाबूभाई पटेल, जम्मू-कश्मीर के बारामूला से अब्दुल रशीद शेख और लद्दाख से हाजी हनीफा जान।
अगर भाजपा संसद में खुद की ताकत बनाए रखना चाहती है तो उसकी कोशिश इन सभी 16 सांसदों को साधने की रहेगी। शिरोमणि अकाली दल पहले भी भाजपा के साथ रह चुका है। वाईएसआरसीपी ने भी कई बार विधेयक पारित कराने में भाजपा सरकार का समर्थन किया था। ऐसे में भाजपा की कोशिश इनको पूरी तरह अपने साथ बनाने की होगी।
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