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    मोदी-शाह शहडोल-बालाघाट से साधेंगे महाकौशल और विंध्य को

  • June 22, 2023

    • मिशन 2023: राजनीति का केंद्र बने आदिवासी, भाजपा की पकड़ से दूर हो रहा आदिवासी वोटर

    भोपाल। मप्र में आदिवासियों की आबादी भले ही 20-22 फीसदी है, लेकिन उनका राजनीतिक महत्व सबसे अधिक है। यही कारण है की मप्र की राजनीति पार्टियों का सबसे अधिक फोकस आदिवासी क्षेत्रों पर रहता है। खासकर चुनावी समय में तो आदिवासी बहुल क्षेत्र राजनीति का ऐसा तीर्थ बन जाता है, जहां हर पार्टी और हर नेता जाने की कोशिश करता है। मिशन 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा का भी पूरा फोकस आदिवासी क्षेत्रों पर है। दरअसल, 2018 में आदिवासी वोटर भाजपा से दूर हो गए थे। अब मिशन 2023 के लिए भाजपा आदिवासी वोटर को साधने में जुट गई है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून को भोपाल और शहडोल के दौरे पर रहेंगे। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 22 जून को बालाघाट आएंगे। भाजपा के दोनों शीर्ष नेता आदिवासियों की सभा को संबोधित करेंगे। दोनों नेताओं की सभा का उद्देश्य विंध्य और महाकौशल की 68 सीटों को साधना है। मोदी, शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चुनावी साल होने के कारण हर दूसरे महीने मप्र आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि शीर्ष नेताओं का केवल विंध्य पर फोकस है, वे राज्य के अलग-अलग हिस्सों में भी जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने मोदी-शाह के दौरे से मध्यप्रदेश की 1.75 करोड़ आबादी के साथ विंध्य-महाकौशल की 68 सीटों पर फोकस करने का मेगा प्लान तैयार किया है। जानकार भी यही दोहराते हैं कि प्रदेश का आदिवासी वर्ग भाजपा की पकड़ से बाहर होता जा रहा है। यही वजह है कि पार्टी आदिवासियों के बीच अपने सबसे लोकप्रिय दोनों नेताओं को चेहरा बनाकर इस बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। रणनीति के मुताबिक भाजपा रानी दुर्गावती गौरव यात्रा निकाल रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 22 जून को इस यात्रा का शुभारंभ बालाघाट में करेंगे। शाह यहां एक सभा को संबोधित करेंगे। इसमें आदिवासी बहुल जिले- मंडला, डिंडोरी, सिवनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा के लोग शामिल होंगे। यह यात्रा प्रदेश के 5 अंचलों में बालाघाट से शहडोल, छिंदवाड़ा से शहडोल, सिंगरामपुर से शहडोल, कलिंजर फोर्ट (उप्र) से शहडोल और धौहनी, सीधी से शहडोल तक निकाली जाएगी।

    आदिवासियों पर इसलिए फोकस
    भाजपा का ट्राइबल एरिया पर ज्यादा फोकस है, क्योंकि यह वर्ग उसकी पकड़ से बाहर होता जा रहा है। प्रधानमंत्री की प्रस्तावित यात्रा से पहले राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू शहडोल का दौरा कर चुकी हैं। आदिवासियों को साधने के लिए ही पेसा एक्ट को जोर-शोर से लागू किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी लगातार ऐसी ही कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आदिवासी भाजपा पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इस तरह का फीडबैक सत्ता और संगठन के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मिल रहा है। हालांकि, केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर इस वर्ग के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है, लेकिन इसका असर फिलहाल दिख नहीं रहा है।

    आदिवासियों को साथ में लेने का एजेंडा संघ का
    आदिवासियों को साथ में लेने का एजेंडा भाजपा का चुनावी नहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) का है। आरएसएस मंडला में हर साल आदिवासी कुंभ का आयोजन कर रहा है। भाजपा आरएसएस के इसी एजेंडा को फॉलो कर रही है। आदिवासियों को हिंदू बनाने की जो आरएसएस की मुहिम है, भाजपा के आयोजन उसी का हिस्सा है। विंध्य की राजनीति के हिसाब से देखें तो मोदी दो महीने में दूसरी बार इस इलाके में जा रहे हैं। यह लगभग तय है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री मोदी ही होंगे। पिछले चुनाव में भले ही भाजपा को इस इलाके में 30 में से 24 सीटें मिलीं, लेकिन निकाय चुनाव में भाजपा को यहां नुकसान हुआ। सरकार में यहां से प्रतिनिधित्व भी नहीं है। इस पूरे इलाके से केवल गिरीश गौतम विधानसभा अध्यक्ष बने, लेकिन वे पार्टी का चेहरा नहीं बन पाए। विंध्य ने भाजपा को पूरा सपोर्ट किया था, लेकिन पार्टी ने किसी भी नेता को आगे नहीं बढ़ाया। वैसे भी प्रधानमंत्री की यात्रा के केंद्र में सिर्फ आदिवासी हैं न कि विंध्य।


    जनजातीय समुदाय के साथ पारंपरिक भोजन
    रानी दुर्गावती गौरव यात्रा का समापन 27 जून को शहडोल में होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। इस अवसर पर सिकलसेल एनीमिया बीमारी से मुक्ति का कार्यक्रम भी लॉन्च होगा। प्रधानमंत्री मोदी मध्यप्रदेश में एक करोड़ आयुष्मान कार्ड का प्रतीकात्मक रूप से वितरण भी करेंगे। लालपुर में सभा करने के बाद प्रधानमंत्री 6 किलोमीटर दूर पकरिया गांव पहुचेंगे। वहां एक जनजातीय परिवार के घर पर रुककर समुदाय के लोगों से संवाद करेंगे। उनके साथ बैठकर पारंपरिक भोजन भी ग्रहण करेंगे। पीएम लगभग 1 घंटे का समय जनजातीय समुदाय के बीच बिताएंगे। इससे पहले मोदी भोपाल पहुंचेंगे, यहां वे दो वंदे भारत ट्रेन भोपाल-इंदौर और भोपाल-जबलपुर का शुभारंभ करेंगे। वंदे भारत को हरी झंडी दिखाने के बाद प्रधानमंत्री भोपाल के लाल परेड मैदान में आयोजित भाजपा के 10 लाख बूथों पर डिजिटल रैली को संबोधित करेंगे।

    आदिवासी वोटरों को साधने की हर कोशिश
    भाजपा-कांग्रेस आदिवासी वोटरों को साधने में हर कोशिश कर रही है। इसके लिए अब भाजपा ने बड़ा प्लान बनाया है। भाजपा 22 जून को प्रदेश के पांच अंचलों से वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा प्रारंभ कर रही है। इसका शुभारंभ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। इसके अलावा छिंदवाड़ा से यात्रा सांसद दुर्गादास उईके, सिंगरामापुर में नबतरी से मंत्री विजय शाह, रानी दुर्गावती के जन्मस्थान कालिंजर में संपतिया उईके और धोहनी सीधी में हिमाद्रि सिंह गौरव यात्रा का शुभारंभ करेंगी। यह यात्रा गांव-गांव होते हुए 27 जून को शहडोल पहुंचेगी। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में यात्रा का समापन होगा। दोनों दलों की नजर आदिवासी वोट बैंक पर है। इन्हें अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा हो या कांग्रेस, कोई कसर नहीं रहने देना चाहते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेसा का नियम लागू करके इन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया है तो युवा अन्न दूत सहित अन्य योजनाओं के माध्यम से स्थानीय आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩे की पहल की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सतना में कोल महाकुंभ में भाग ले चुके हैं तो छिंदवाड़ा भी पहुंचे थे। मप्र में जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) का जनाधार भी तेजी से बढ़ रहा है। संगठन ने युवाओं को आदिवासी प्रभाव वाली 80 सीटों पर चुनाव लड़ाने का एलान किया है। इसके लिए संगठन लगातार जमीनी स्तर पर काम करते आ रहा है। जयस का बढ़ता जनाधार भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत बन रहा है।

    यह है आदिवासी वोट का गणित
    मप्र की 230 सीटों में से 47 सीटे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 30 और भाजपा को 16 सीट पर जीत मिली थी। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इसके अलावा 30 सीटों पर आदिवासी वोटर प्रभाव रखता है। इसलिए कहा जाता है कि आदिवासी वोट जिधर गया, सिंहासन पर पहुंचा। अब भाजपा, कांग्रेस के अलावा दूसरी अन्य पार्टियां भी आदिवासी वर्ग को साधने में जुटे हुए है। यहीं वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पूरी ताकत लगा रहे है। सरकार आदिवासियों को साधने के लिए पेसा एक्ट से लेकर कई योजनाओं का शुभारंभ किया है। वहीं, कांग्रेस ने भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का रूट आदिवासी वोटर को साधने के हिसाब से तय किया था। हाल ही में प्रियंका गांधी ने भी जबलपुर में कांग्रेस की जनसभा को संबोधित करने से पहले रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

     

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