नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अगले साल शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी सक्रिय हो गई है. बीजेपी 2017 के चुनाव में जिस समीकरण के दम पर 15 साल सियासी वनवास को खत्म सत्ता में लौटी थी. वो पिछले सवा चार साल में बिखर गया है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित केंद्रीय नेतृत्व दोबारा से उसे पुराने फॉर्मूले को फिर से जमीन पर उतारने के लिए सक्रिय हो गए हैं. हालांकि, यह समीकरण इस बार बीजेपी के लिए सियासी तौर पर कितना फायदा दिलाएगा यह तो 2022 के चुनावी नतीजे के बाद भी पता चलेगा?
यूपी के सियासी दुर्ग को बचाए रखने के लिए बीजेपी बैक-टू-बैक बैठकें पिछले 25 दिनों से लगातार कर रही है. बीजेपी के केंद्रीय नेताओं की टीम और आरएसएस के रिपोर्ट के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सक्रिय हो गए हैं. अपना दल (एस) की नेता व सांसद अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात किया है. दोनों नेताओं ने ऐसे समय में अमित शाह से मुलाकात की है जब सूबे में सियासी तपिश काफी गर्म है. इसके चलते यह मुलाकात काफी अहम माना जा रही है.
अपना दल (एस) और निषाद पार्टी यूपी में बीजेपी के सहयोगी दल है. इन दोनों ही पार्टियों का राजनीतिक आधार ओबीसी समुदाय पर टिका हुआ है. अनुप्रिया पटेल ओबीसी के कुर्मी समुदाय से आती है जबकि संजय निषाद अतिपिछ़डे मल्लाह समुदाय से आते हैं. दोनों ही समुदाय सूबे की सियासत में काफी अहम माने जाते हैं. इसीलिए इन दोनों ही पार्टियों के नेताओं को नजरअंदाज बीजेपी नहीं करना चाहती है, क्योंकि पार्टी उनसे दूरी बनाकर अपनी सियासी राह में मुश्किलें नहीं खड़ी करना चाहती.
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अगुवाई वाले गठबंधन को 325 सीटों के साथ प्रचंड जीत मिली थी. इस जीत का फॉर्मूला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने तैयार किया था, जिसके तहत यूपी के ओबीसी नेता अनुप्रिया पटेल और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के साथ गठबंधन किया गया था. बीजेपी ने सूबे में सपा को बेदखल करने के लिए गैर-यादव ओबीसी को एकजुट किया था, जिसके तहत ये दोनों ओबीसी नेता उसी रणनीति का हिस्सा थे. हालांकि, सत्ता की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में मिलते ही ओम प्रकाश राजभर के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए और 2019 के बाद वो बीजेपी गठबंधन से नाता तोड़कर अलग हो गए. वहीं, अनुप्रिया पटेल काफी समय से नाराज है. उन्हें इस बार मोदी कैबिनेट में अभी तक जगह नहीं मिली है जबकि राज्य में उनके पति और पार्टी अध्यक्ष आशीष पटेल भी मंत्री बनने की उम्मीद लगाए कई साल से बैठे हैं.
बीजेपी अब 2022 के चुनावी रण में उतरने से पहले अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने में जुट गई है. इसी कड़ी के तहत मोदी और शाह सक्रिय हुए हैं और उन्होंने सबसे पहले रुठे हुए सहयोगी दलों को मनाने में जुट गए हैं. अमित शाह ने गुरुवार को अपना दल (एस) की सांसद अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के साथ अलग-अलग मुलाकात किया. माना जा रहा है कि दोनों ही नेताओं से अमित शाह ने चुनाव के नजरिए से सूबे की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश किया.
सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं ने अपने-अपने समाज की यूपी में की जा रही अनदेखी का मुद्दा उठाने के साथ ही जिला पंचायत चुनावों में अनदेखी की बात सामने रखी है. अमित शाह ने इन नेताओं से कुछ और फीडबैक मांगे हैं, जिस पर 10 दिनों बाद इन सभी के साथ वह फिर से बैठेंगे. अनुप्रिया पटेल के रहते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अमित शाह से मिलने पहुंचे थे.
वहीं, निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने अमित शाह के सामने यूपी की सियासी हालात के साथ-साथ अपनी मांगे भी रखी है. सूत्रों की मानें तो उन्होंने निषाद समेत 14 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कराने की बात रखा. इस पर शाह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह अफसरों के साथ बैठकर इस पर मंथन करेंगे और जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा. अमित शाह से मुलाकात से पहले संजय निषाद ने बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह और भाजपा एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा से भी मिले थे. माना जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सूबे में होने वाले कैबिनेट विस्तार में संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल को मंत्रिमंडल में समायोजन किया जा सकता है. दोनों नेताओं ने यह डिमांड रखा है.
वहीं, यूपी में बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी साबित करने की मुहिम को हवा दे रही कांग्रेस को झटका देने के लिए बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने जितिन प्रसाद को अपने साथ मिला लिया है. माना जा रहा है कि बीजेपी जितिन प्रसाद को पार्टी में लाकर यूपी के ब्राह्मण समुदाय को एक बड़ा संदेश देने की कवायद है. वहीं, बीजेपी के एक अन्य सहयोगी ओम प्रकाश राजभर भी नाराज होकर चले गये थे, उन्हें भी मनाने की कोशिश शरू की जा चुकी है. हालांकि, ओम प्रकाश राजभर ने साफ कर दिया है कि बीजेपी डूबता हुआ जहाज है जिस पर हम सवार नहीं होंगे.
बता दें कि, 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली दौरे पर हैं. गुरुवार को योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात किया था. वहीं, शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलेंगे. माना जा रहा है यह सारी कवायद यूपी के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने के लिए हो रही हैं.
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