– गिरिराज सिंह
आज देश आजादी के 75वें वर्ष के रूप में अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी के वीर सपूतों के सपने को साकार करने के लिए सरदार पटेल ने जो मजबूत नींव रखी थी उस पर पिछले आठ साल में मोदी सरकार ने बुलंद इमारत बनाई है। केंद्र सरकार ने 2047 में भारत के भव्य स्वरूप की रूपरेखा तैयार ही नहीं की है बल्कि उस पर तेजी से अमल शुरू कर दिया है। आप देखें कि किसी भी देश, किसी भी राज्य, किसी भी घर को अगर आंका जाए तो आर्थिक स्वतंत्रता और इंफ्रॉस्ट्रक्चर आधार होता है। देश में जब मोदी जी ने कार्यभार संभाला तो देश का बजट केवल 16.5 लाख करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर वो 37.5 लाख करोड़ रुपये तक ले गए। केवल बजट का वॉल्यूम ही नहीं बढ़ाया। आंतरिक संसाधन एवं राजस्व को भी बढ़ाया है। 2014 में जो राजस्व 11 लाख करोड़ रुपये था, आज 32 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यानी लगभग तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है। मगर देश में कुछ लोगों ने कसम खा ली है कि मोदी को गाली देनी है और वह विदेशों में जाकर देश को ही गाली देने लगते हैं। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि आज पूरी दुनिया में मोदी ने भारत की साख बढ़ाई है। इसके कारण एफडीआई 36 बिलियन डॉलर से बढ़कर 85 बिलियन डॉलर हो गई है। विदेशी मुद्रा भंडार 300 बिलियन डॉलर से बढ़कर 607 बिलियन डॉलर हो गया है। पूरी दुनिया में मोदी जी ने भारत की विश्वसनियता को बढ़ाया है। इसके कारण देश आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गया है। यही नहीं 2014 में जहां निर्यात 19 लाख करोड़ रुपये प्रतिवर्ष था। आज वह बढ़कर 33 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की स्थिति में भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की। इसके कारण कोरोनाकाल में कृषि आधारित उत्पादनों के निर्यात में 23 फीसदी वृद्धि हुई है।
मैं अगर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपनों को गांव की ओर ले चलूं तो उन्होंने ग्रामीण इंफ्रॉस्ट्रक्चर से लेकर शहरों के नेशनल हाइवे और सड़कों का भी एक जाल बिछाया है। दुनिया में जिस देश ने तरक्की की है, वह इंफ्रॉस्ट्रक्चर को मजबूत करके ही है। पिछले 7 सालों में नेशनल हाइवे का निर्माण 300 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। 2015 में जहां भारत में नेशनल हाइवे 1389 किमी सालाना बनता था, वहीं 2021-22 में हमारी सरकार ने 4,000 किलोमीटर की सड़कें प्रतिवर्ष बनाने का काम किया। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं. क्योंकि ग्रामीण भारत को देश की आर्थिक रीढ़ माना जाता है तो गांव को नेशनल हाइवे से जोड़ना पड़ेगा और जब तक नेशनल हाइवे गांवों तक नहीं बनेगा तब तक गांव की सड़क एक सीमित स्थल तक ही रुक जाएगी और गांव की चीजों को देश के एक छोर से दूसरी छोर ले जाने में आज जो सुविधा मिल रही है वह नहीं मिल पाती। इसलिए 2025 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि 2 लाख किलोमीटर नेशनल हाइवे बनाना है और यह एक सशक्त भारत का सपना है। आजादी के बाद सरकारें तो आती और जाती रहीं, कांग्रेस सरकार ‘गरीबी हटाओ’ का नारा देती रही परन्तु गरीबों के लिए कुछ नहीं किया । पहली बार मूलभूत सुविधा देने का काम मोदी सरकार ने किया। कांग्रेस ने इंदिरा आवास योजना बनाकर अपने ही नेताओं का महिमामंडन किया। परंतु गरीबों के बारे में वास्तव में नरेन्द्र मोदी जी ने सोचा और गरीबों को छत दी और वह भी पूरे सम्मान के साथ। गरीबों का सपना, जो रोटी, कपड़ा और मकान के लिए मजबूर थे, उन्हें मोदी सरकार ने पूरा किया। 2014 तक केवल 3.25 लाख करोड़ मकान ही बन पाए थे, लेकिन मोदी सरकार ने पिछले 8 साल में ढाई करोड़ से ज्यादा मकान बनाने का काम किया और उन्हें न केवल आवास दिया बल्कि उनके लिए शौचालय भी दिया।
शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए कांग्रेस के पास कोई सोच नहीं थी। कोई योजना नहीं थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए शहरी आवास योजना बनाई और अभी कई मकान पाइपलाइन में हैं, जो गरीबों को सुपुर्द किए जाएंगे। गरीबों का जो सपना है, उसे पूरा करने के लिए हम दिन-प्रतिदिन प्रयत्नशील हैं। पहले इंदिरा आवास योजना में केवल मकान था, हमने घर में केवल शौचालय ही नहीं दिया, बल्कि उज्जवला योजना के माध्यम से खाना बनाने के लिए गैस, उजाला के तहत उन घरों में रोशनी पहुंचाई और जन धन योजना के तहत 2 लाख रुपये के बीमा सहित बैंक में अकाउंट भी खुलवाए। आज देश में लगभग 45 करोड़ गरीबों के खाते खोले जा चुके हैं। पहले लोग मजाक उड़ाते थे कि इससे क्या मिलेगा, लेकिन जब भारत सहित विश्व कोरोना वायरस की चपेट में आया, रोजगार, जान-माल सभी खतरे में पड़ गए, उस समय उन खातों में पैसे मोदी सरकार ने भेजे। 80 करोड़ गरीब लोगों को गरीब कल्याण योजना के तहत राशन मुहैया कराया गया। प्रधानमंत्री जी को चिंता थी कि किसी भी घर में कोई भी भूखा न सोए, कोई भूख के कारण ना मरे। मोदी जी ने गरीबों के घर में राशन पहुंचाया और वह आज फिर से नई जिंदगी की शुरुआत कर रहे हैं।
गांवों में 2005 में बड़े जोर-शोर से कांग्रेस के शासन में मनरेगा जैसी योजना लाई गई और उस मनरेगा जैसी योजना में गरीबों के पास उनकी मजदूरी कम जाती थी और वह भ्रष्टाचार एवं बिचौलियों की भेंट चढ़ जाती थी। कांग्रेस और विपक्षियों ने सदन के अंदर मोदी जी को घेरने का काम किया। उनको लगता था कि मोदी जी मनरेगा को बंद कर देंगे, परंतु प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मैं इसे बंद नहीं करूंगा, इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आधार बनाऊंगा, यह जीविकोपार्जन का सशक्त आधार होगा। आप देखें कि 2014 में मनरेगा में केवल 33 हजार करोड़ रुपये का बजट था और आज लगातार पिछले कई वर्षों से एक लाख करोड़ से भी ज्यादा का बजट है और जरूरत पड़ने पर यह बजट 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा। यही नहीं इसमें मजदूरों की भागीदारी, जिनको काम नहीं मिल रहा था, उन हाथों में रोजगार देने की भागीदारी भी बढ़ी। जैसे 2006-07 से 2013-14 के बीच केवल 1660 करोड़ कुल श्रम दिवस सृजित हुए थे और 2014-15 से आज तक देखें तो लगभग ढाई हजार करोड़ श्रम दिवस सृजित हुए हैं, लेकिन अगर वहीं बजट देखें तो 2006-07 से 2013-14 तक केवल 2,13,220 करोड़ रुपये था। आज मोदी सरकार ने 5,21,127 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, केवल खर्च ही नहीं हुए, पहले मनरेगा में बैंकों के द्वारा डीबीटी नहीं होती थी और बिचौलिये पैसे खा जाते थे। आज 99% बैंकों के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में डीबीटी होती है और मनरेगा से परिसम्पत्ति सृजित हो रहे हैं। 2014 तक जहां केवल 17% व्यक्तिगत एवं सामूहिक परिसम्पत्तियों का सृजन हुआ था वहीं मई, 2022 तक 60% परिसम्पत्ति सृजित हुए हैं। इससे मजदूरों को आर्थिक संबल मिला है। उस पर पारदर्शी तरीके से टेक्नोलॉजी का सहारा लिया गया है जिससे पारदर्शिता के साथ भुगतान भी हो और काम भी हो। आज मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 54% हो गई है, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
मैं कहना चाहूंगा कि मोदी जी ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर, नेशनल हाइवे पर, वाटरवेज पर एवं एयरवेज पर जोर दिया। जब उन्होंने कहा कि हवाई चप्पल पहनने वाला हवाई जहाज से यात्रा करेगा, तो विपक्ष ने मजाक उड़ाया। गांव की कहावत है जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई। प्रधानमंत्री मोदी जी एक चाय बेचने वाले के बेटे थे और उन्होंने गरीबी देखी थी। आज उन्हीं गरीबों का सपना पूरा करने का प्रण प्रधानमंत्री जी ने लिया है। आज गांव के गरीब हवाई जहाज से सफर कर रहे हैं। देश में छोटे-छोटे एयरपोर्ट से भी हवाई यात्रा शुरू हो गई है। लगभग 50 ऐसे छोटे-छोटे हवाई एयरपोर्ट हैं।
मैं बिहार से आता हू। मैंने कभी सोचा नहीं था कि दरभंगा में भी हवाई जहाज उतरेगा और वहां के गरीब मजदूर, किसान हवाई जहाज की यात्रा करेंगे एवं फोर लेन की सड़क से जाएंगे। आज उन सड़कों को हम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जोड़ने का एवं गुणवत्तायुक्त बनाने का काम कर रहे हैं। सन 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने समृद्ध गांव, ग्राम स्वराज का सपना देखा था और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत की थी, जो पहाड़ी क्षेत्र, समतल क्षेत्र, नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्र सभी को शामिल करते हुए 100 की आबादी से ज्यादा घर वाले जगहों तक सड़कों का जाल बिछाने का काम किया है। आज उन सड़कों को मोदी जी ने गुणवत्तायुक्त बनाकर चौड़ीकरण कराया। जहां 2007-14 तक केवल 2 लाख 98 हजार किलोमीटर सड़कें बनीं, वहीं आज हम लगभग मजबूती के साथ साढे़ तीन लाख किलोमीटर की ओर बढ़ रहे हैं। अब इन सड़कों से एक तरफ बड़ी-बड़ी गाड़ियां आज गांवों में जाती हैं, उसके लायक अब यह सड़कें बन रही हैं, लेकिन हाइवे से ग्रामीण सड़क और ग्रामीण सड़क से गांव की सड़कों को मनरेगा से लगभग 1 लाख किलोमीटर बनाने का काम किया, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से जोड़ सकें। मैं इतना ही कहूंगा कि पहले जो सड़कें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत थीं वह केवल लगभग 90 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से बनती थीं, आज लगभग 115 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से बनाई जा रही हैं।
हमने गरीबों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए 50 करोड़ गरीबों को आयुष्मान भारत से जोड़ा। प्रधानमंत्री का सपना था कि कोई व्यक्ति दवा के बगैर जान न गवाएं। प्रधानमंत्री कहते थे जब कोई गरीब बीमारी के चंगुल में फंस जाता है तो उसका घर बर्बाद हो जाता है। इसीलिए प्रधानमंत्री ने आयुष्मान के रूप में 5 लाख रुपये का एक कवच कुंडल गरीबों को दिया। साथ ही आयुष्मान भारत के रूप में गरीबों को स्वास्थ्य बीमा भी दिया। जिसमें जीवन सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना है ताकि ढलती उम्र के साथ लोग पैसे के लिए मोहताज ना रहे, अपना सहारा खुद बनें। मोदी जी ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना बनाई, जिसमें जन औषधि केंद्र के रूप में गरीबों के लिए एक दवा की दुकान है, जो ब्रांडेड दवाओं से 30 से 80% तक कम कीमत पर मिलने वाली दवाओं का केंद्र है। गांव में रहने वाले असंगठित क्षेत्र के जो श्रमिक थे, दुकान करने वाले, मजदूरी करने वाले, सभी को ई-श्रमिक पोर्टल से जोड़ा और उनके लिए भी योजना लाए, जिसमें 3000 रुपए का पेंशन है। यह ग्राम स्वराज की एक सोच है।
पहले प्रधानमंत्री जी गांवों के उत्थान के लिए, समृद्धि के लिए ऐसी कई योजनाएं लाए। किसानों के लिए भी किसान सम्मान निधि लाए, जिसमें 6000 रुपये प्रतिवर्ष उनको उनके खाते में जाते हैं। कभी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी कहते थे कि हम एक रुपया भेजते हैं तो 15 पैसा ही मिलता है, लेकिन आज लगभग 20 लाख करोड़ रुपया सबके खाते में पहुंच चुका है, सभी का पूरा पैसा उनके खाते में जा रहा है, यह ग्राम स्वराज का एक जीता जागता उदाहरण है। पंचायत सशक्तिकरण की बात करें तो प्रधानमंत्री मोदी जी का प्रयास पंचायतों को एक वाइब्रेंट पंचायत बनाने का है। वाइब्रेंट पंचायत, एक ऐसा पंचायत हो, जो शहरों की तर्ज पर टेक्नॉलॉजी के साथ हो। इसीलिए हमने स्पेस मंत्रालय के साथ एक एमओयू करके आज ग्राम पंचायतों के विकास के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए वार्षिक कार्य योजना बनाई है। हमने पंचायतों का मास्टर प्लान बनाने का काम पंचायतीराज मंत्रालय के माध्यम से किया। प्रधानमंत्री ने गांव में डिजिटल प्रॉपर्टी कार्ड देने के लिए स्वामित्व योजना लाने का काम किया। योजना से आज गांव के लोगों के जीवन में एक नया उत्साह है। आज की तारीख में पूरे देश के लिए 2024 का मेरा लक्ष्य है कि देश के हर गांव में हर घर का ड्रोन के माध्यम से डिजिटल मैपिंग हो। गांव में रहने वाले को अपने घरों का एक डिजिटल प्रॉपर्टी कार्ड हो।
ऐसा माना जाता है कि देश में लगभग 19.5 करोड़ घर हैं। सभी घरों की मैपिंग होनी है। हम लगभग दो करोड़ घरों की मैपिंग कर चुके हैं। यही नहीं इसमें हमने 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एमओयू किया है और लगभग 1 लाख 45 हजार गांवों में ड्रोन का उड़ान हो चुका है और 14 राज्यों के 137 जिले पूरे हो गए हैं। यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है। ग्रामीणों ने प्रॉपर्टी कार्ड से बैंकों के माध्यम से ऋण लेना शुरू कर दिया है। पहले शहरों के मकानों पर ऋण मिलता था, लेकिन गांव के मकान पर लोगों को ऋण नहीं मिलता था, लेकिन मोदी जी ने ग्राम स्वराज में एक नया अध्याय जोड़ने का काम किया है। 12वें वित्त आयोग में केवल प्रति वर्ष 54 रुपये खर्च किये गए थे। आज 15वें वित्त आयोग के तहत मोदी जी ने प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 674 रुपये खर्च किए हैं। हमारे ग्राम स्वराज की परिकल्पना को संयुक्त राष्ट्र संघ ने सराहा है। कंप्यूटराइजेशन ऑफ लैंड रिकॉर्ड का कार्य भी प्रगति पर है। हमने पंचायतों में महिला स्वरोजगार को बढ़ावा देते हुए महिलाओं का सशक्तीकरण किया है। 2014 में मोदी जी प्रधानमंत्री के रूप में आए थे, तो देश में केवल 2 करोड़ 33 लाख महिलाएं रोजगार से जुड़ी हुई थी और केवल 80 हजार करोड़ रुपये बैंक के द्वारा इन्हें मदद मिली थी और बैंकों का भुगतान जो नहीं हुआ, जिसे एनपीए कहते हैं, वह 9.58 % था जो अब घटकर 2% के करीब रह गया है। महिलाओं ने मोदी जी के ई-गर्वेनेंस को अपना पूरा समर्थन दिया है। 2024 तक हमारा लक्ष्य है 10 करोड़ महिलाओं को लखपति बनाना।
इस मिशन के माध्यम से एसएचजी से जोड़ने का काम ग्रामीण विकास मंत्रालय करेगा और ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से गांव का विकास और अन्य विभागों से जोड़कर एक वाइब्रेंट पंचायत बनाने का काम हम कर रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में 18,000 पंचायतों में वेलनेस सेंटर भी खोलें जाएंगे। हमारी सरकार का लक्ष्य है एक ऐसी पंचायत हो, जो शिक्षा युक्त हो। महिला बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर पोषण युक्त पंचायत हो। महिला रोजगार युक्त पंचायत हो। शिक्षायुक्त पंचायतें, यानी 100% स्कूलों में उपस्थिति हो। सड़क युक्त पंचायत हो। ग्रीन ऊर्जा युक्त पंचायत हो। एक वाइब्रेंट पंचायत की कल्पना पंचायतीराज मंत्रालय के माध्यम से मोदी जी के नेतृत्व में हम पूरा करने की ओर अग्रसर हैं।
(लेखक, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री हैं।)
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