नई दिल्ली (New Delhi)। संसद (Parliament) के 18 सितंबर से शुरू होने वाले पांच दिन के विशेष सत्र के दौरान संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा होगी। लोकसभा सचिवालय द्वारा बुधवार को जारी बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है।
इसमें संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा के अलावा चार विधेयकों का भी उल्लेख है। सरकार द्वारा संसद सत्र के बताए गए एजेंडे पर कांग्रेस ने कहा है कि वास्तव में पर्दे के पीछे कुछ और है।
इनमें एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस एवं आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 राज्यसभा से पारित एवं लोकसभा में लंबित हैं। वहीं, डाकघर विधेयक 2023 तथा मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 सूचीबद्ध है। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों ने हाल में अपने बुलेटिन में कहा था कि संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा और सरकार के कामकाज को देखते हुए यह 22 सितंबर तक चलेगा।
कांग्रेस बोली- पर्दे के पीछे कुछ और है
विशेष सत्र का एजेंडा जारी करने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि असल में पर्दे के पीछे कुछ और ही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ”आखिरकार, श्रीमती सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए लेटर के बाद मोदी सरकार ने 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के एजेंडे की घोषणा करने की कृपा की है। फिलहाल जो एजेंडा प्रकाशित किया गया है, उसमें कुछ भी नहीं है – इन सबके लिए नवंबर में शीतकालीन सत्र तक इंतजार किया जा सकता था। जयराम रमेश ने कहा, ”मुझे यकीन है कि विधायी ग्रेनेड्स हमेशा की तरह आखिरी समय में फूटने के लिए तैयार हैं। पर्दे के पीछे कुछ और है।” कांग्रेस ने साफ किया कि इंडिया गठबंधन की पार्टियां घातक सीईएससी विधेयक का डटकर विरोध करेंगी।
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