नई दिल्ली। मोदी सरकार ने हल ही मे 15 हजार से कम सैलेरी कमाने वालों के लिए एक बड़ा तोहफा दिया है। ये तोहफा लोगो को ‘आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना’ के तहत दिया जायेगा। और आगे कहा की 1 अक्टूबर 2020 से 30 जून 2021 तक कंपनियों और अन्य ईकाईयों द्वारा रखे जाने वाले नए कर्मचारियों के लिए दो साल तक रिटायरमेंट फंड में अंशदान देगी। सरकार की तरफ से यह फंड कर्मचारी और नियोक्ता की तरफ से होगा।
इसका मतलब है कि तय अवधि के बीच कम सैलरी पर नई नियुक्ति पर सरकार अब कर्मचारी का 12 फीसदी और नियोक्ता का 12 फीसदी भविष्य निधि कोष का बोझ खुद उठाएगी। बुधवार को ही सरकार ने कैबिनेट बैठक में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार इस योजना पर 22,810 करोड़ रुपये खर्च करेगी। योजना से 58 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।
सरकार के इस फैसले से हर महीने 15,000 रुपये या इससे कम सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को फायदा होगा। इसके दायरे में केवल वही कर्मचारी होंगे जो 1 अक्टूबर 2020 से पहले किसी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से संबंध संस्थान में नौकरी नहीं कर रहे थे और उनके पास यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) अकाउंट नहीं है।
उन लोगों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा, जिनके पास UAN अकाउंट है और 15,000 रुपये से कम मासिक सैलरी है, लेकिन 1 मार्च 2020 से 30 सितंबर 2020 के बीच कोविड-19 महामारी के दौर में नौकरी चली गयी और उसके बाद ईपीएफओ से जुड़े किसी संस्थान में नौकरी नहीं की हो। सरकार ने यह भी कहा है कि 1,000 लोगों तक नए रोजगार देने वाली कंपनियों के दोनों हिस्सों का खर्च वह खुद उठाएगी। जबकि, 1,000 से अधिक लोगों को नए रोजगार देने वाली कंपनियों को हर कर्मचारी के 12 फीसदी का अंशदान का बोझ दो साल तक के लिए उठाएगी।
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