नई दिल्ली: उन एक करोड़ से ज्यादा टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत की खबर है जिनके ऊपर इनकम टैक्स विभाग ने एक लाख रुपये तक के टैक्स डिमांड को नोटिस भेजा हुआ है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने 13 फरवरी 2024 को जारी किए गए अपने आदेश में कहा है कि इनकम टैक्स विभाग ने 31 जनवरी 2024 तक पुराने बकाये टैक्स क्लेम डिमांड पर छूट देने और उसे खत्म करने की शुरुआत कर दी है. सीबीडीटी ने ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी टैक्सपेयर्स का ज्यादा से ज्यादा 1 लाख रुपये तक के टैक्स डिमांड को माफ किया जाएगा.
1 लाख रुपये तक टैक्स डिमांड माफ
सीबीडीटी ने अपने आदेश में कहा कि 31 जनवरी 2024 तक एसेसमेंट ईयर 2020-11 तक के लिए हर एसेसमेंट ईयर में 25,000 रुपये तक के टैक्स डिमांड पर छूट देकर उसे खत्म किया जाएगा. वहीं एसेसमेंट ईयर 2011-12 से लेकर एसेसमेंट ईयर 2015-16 तक 10,000 रुपये प्रत्येक वर्ष के हिसाब से टैक्स डिमांड पर छूट देकर उसे खत्म किया जाएगा. लेकिन ये सब रकम मिलाकर 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए. आईसीएआई के पूर्व प्रेसीडेंट वेद जैन ने पुराने टैक्स डिमांड को खत्म किए जाने के सरकार के कवायद पर कहा, इसे एक प्रकार से पुराने टैक्स डिमांड को राइटऑफ के दौर पर देखा जा सकता है जिससे बुक्स को क्लीन किया जा सके. दो महीने के के भीतर सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर, बेंगलुरु को ये आदेश लागू करना होगा.
अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने दी राहत
एक फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक करोड़ टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए ये एलान किया था कि, ‘ वित्त वर्ष 2009-10 तक के अवधि के लिए 25,000 रुपये तक के डायरेक्ट टैक्स डिमांड और 2010-11 से लेकर 2014-15 तक 10,000 रुपये तक के लिए बकाये इनकम टैक्स डिमांड को वापस लेने का एलान किया जाता है.’ वित्त मंत्री ने कहा था कि इस फैसले से एक करोड़ टैक्सपेयर्स को लाभ होगा.
टैक्सपेयर्स को मिली बड़ी राहत
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, इज ऑफ लिविंग (Ease of Living) और इज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) में सुधार लाने के सरकार के विजन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने टैक्सपेयर सर्विसेज के मद्देनजर ये बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में छोटी मोटी, गैर-सत्यापित (Non-Verified), गैर-समाधान (Non-Reconciled) या विवादित इनकम टैक्स डिमांड (Disputed Direct Tax Demands) हैं जिसमें से कई 1962 से बकाया है जो अभी तक इनकम टैक्स विभाग के बुक्स यानि खाते में मौजूद है. इससे ईमानदार टैक्सपेयर्स को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो टैक्स रिफंड जारी करने में रुकावटें पैदा हो रही है. जिसके चलते सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया है.
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