नई दिल्ली। हाल के कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के संबंध काफी प्रगाढ़ हुए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की बेहतर आर्थिक सूझबूझ की वजह से अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था। वर्ष 2020 के जनवरी माह से लेकर जुलाई 15 तक कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत में 1.27 लाख करोड़ भारतीय रुपये का निवेश किया है। यह सब मोदी सरकार के डिजिटलीकरण के कारण हो सका है।
पिछले कुछ समय में भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा है। चीन व हांगकांग से मिल रही चुनौतियों का सामना करने के लिए अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए भारत पहली पसंद के तौर पर बनकर उभरा है। इतना ही नही, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था ने भी इसमें मजबूत कड़ी का काम किया है । वर्तमान में देश में करीब 70 करोड़ इंटरनेट के ग्राहक हैं, जिनमें से करीब आधे ऑनलाइन आ गए हैं। यह एक बड़ा फायदा है।
मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स में भी पिछले कुछ दिनों में कई दिग्गज अमेरिकी कंपनियों ने निवेश किया है। अप्रैल से अब तक जियो प्लेटफॉर्म्स ने 20 अरब डॉलर यानी करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है।
भारत और चीन के बीच घटा द्विपक्षीय व्यापार
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर रह गया। चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। (एजेन्सी, हि.स.)
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