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    मोदी सरकार दे सकती है दो बड़े तोहफे, मिल रहे हैं तगड़े संकेत, जानिए क्या है मामला

  • September 13, 2024

    नई दिल्ली. विदेश (abroad) से दो अच्छी खबरें आई हैं, जिसका असर भारत (India) पर भी देखने को मिल सकता है. एक ओर जहां ग्लोबल मार्केट (Global Market) में ब्रेंट क्रूड के दाम (Crude Oil Price) में तगड़ी गिरावट आई है, तो वहीं यूरोप में पॉलिसी रेट कट के बाद अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है. इसके संकेत गुरुवार को शेयर बाजार में तेजी के रूप में मिल चुके हैं. दरअसल, क्रूड ऑयल में बदलाव का असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ता है, जबकि अमेरिका पॉलिसी रेट में कटौती करता है, तो भारत में भी फेस्टिव सीजन में लोन लेने वालों को राहत मिलने की उम्मीद जागी है. यानी मोदी सरकार देश को लोगों को दो बड़े तोहफे दे सकती है.

    2021 के बाद इस इस स्तर पर क्रूड
    सबसे पहले बात करते हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और इससे Petro-Diesel के दामों पर पड़ने वाले असर के बारे में, तो बता दें कि शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत (Crude Oil Price) 72 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रही है, जबकि WTI क्रूड का भाव 69.27 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. साल 2021 के बाद क्रूड का दाम इस स्तर पर आया है. महीनेभर में Crude की कीमतों में हुए बदलाव पर नजर डालें तो ये 20-25 डॉलर प्रति बैरल सस्ता हुआ है.


    क्रूड के भाव का पेट्रोल-डीजल पर असर
    देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कई कारकों पर निर्भर होती हैं. हर रोज इनके दाम घटते और बढ़ते हैं. इसके साथ ही हर शहर में ये कीमतें अगल-अलग होती है. इस बदलाव का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड ऑयल का भाव, देश में इन पर लगने वाला उत्पाद शुल्क, राज्यों द्वारा लगाया जाने वाला वैट बनता है. हालांकि, Petrol-Diesel Price तय करने में सबसे बड़ी भूमिका ग्लोबल मार्केट में बेंट क्रूड के भाव की होती है. अगर क्रूड की कीमतों में गिरावट आती है, तो पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी देखने को मिलती है. हालांकि, हालांकि, ऐसा हर बार जरूरी नहीं है कि क्रूड ऑयल सस्ता होने के बाद पेट्रोल-डीजल भी सस्ता हो, लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा ही देखने को मिलता है.

    एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रोजाना करीब 37 लाख बैरल क्रूड की खपत होती है और हम अपनी खपत की पूर्ति के लिए लगभग 80 फीसदी क्रूड ऑयल आयात करते हैं. ऑयल मार्केटिंग कंपनियां Crude Oil की कीमत, फ्रेट चार्ज, रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर तय करती हैं कि पेट्रोल-डीजल कितना सस्ता होगा या कितना महंगा किया जाएगा.इसके अलावा ग्राहक तक पहुंचने तक इसकी कीमतों में एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन भी जुड़ जाता है. मतलब साफ है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में कितना और कब बदलाव करना है, इस पर अंतिम फैसला स्थानीय तेल कंपनियां ही लेती हैं.

    फेस्टिव सीजन में सस्ता होगा फ्यूल!
    एक्सपर्ट्स अनुज गुप्ता के मुताबिक, अगर कच्चे तेल की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक डॉलर प्रति बैरल का इजाफा होता है, तो देश में पेट्रोल-डीजल के दाम 50 से 60 पैसे बढ़ने की संभावना रहती है. जबकि अगर 1 डॉलर की कमी आती है, तो फिर इसी अनुपास में Petrol-Diesel घट सकते हैं. ऐसे में ये फिलहाल यही उम्मीद बढ़ रही है और अगर कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का रुख जारी रहता है, तो देश में करीब दो साल से स्थिर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव देखने को मिल सकता है.

    यूरोप में रेट कट, अब अमेरिका पर नजर
    अब बात कर लेते हैं दूसरी राहत भरी उम्मीद के बारे में, तो ये लोन लेने वालों से जुड़ी हुई है. दरअसल, बीते कारोबारी दिन गुरुवार को यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने बड़ा फैसला लेते हुए महंगाई में नरमी के बीच इकोनॉमिक ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए प्रमुख ब्याज दर (Policy Rate) में 25 बेसिस पॉइंट या 0.25 फीसदी की कटौती की है और इसे 3.75 फीसदी से घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है. इससे अमेरिका में भी इसी महीने फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर घटाने की उम्मीद बढ़ गई है. दरअसल, अमेरिका में सालाना महंगाई दर (US Inflation Rate) अगस्त 2024 में 2.5 फीसदी हो गई, जो जुलाई में 2.9 फीसदी थी.

    अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Fed) की अगली बैठक 17-18 सिंतबर को होने वाली और इसमें ब्याज दर कटौती का फैसला लिया जा सकता है. रिपोर्ट्स की मानें तो एक्सपर्ट्स अमेरिका में भी 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीद जाहिर कर रहे हैं. अब अमेरिका में होने वाली किसी भी फाइनेंशियल हलचल का सीधा असर भारत पर भी दिखाई देता है, गुरुवार को शेयर बाजार पर यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेत का असर तेजी के रूप में दिखाई दिया था. ऐसे अगर अमेरिका में ये फैसला होता है, तो भारत में भी रेपो रेट में कटौती का अनुमान जाहिर किया जा रहा है.

    लोन लेने वालों को क्यों राहत की उम्मीद?
    जैसा कि बताया अक्सर अमेरिका में होने वाली किसी भी हलचल का सीधा असर भारतीय बाजारों पर दिखाई देता है. फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी इसमें शामिल है. अमेरिका में महंगाई दर में राहत मिलने से फेड की ओर से Policy Rate में कटौती का अनुमान जाहिर किया जा रहा है, तो वहीं भारत में भी महंगाई दर (India Inflation) के आंकड़े में मामूली इजाफा जरूर हुआ है, लेकिन ये RBI द्वारा तय दायरे के नीचे बनी हुई है. गुरुवार को सरकार द्वारा जारी किए गए डाटा को देखें तो अगस्‍त 2024 में भारत की खुदरा महंगाई मामूली बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई है.

    महंगाई काबू में आने के बावजूद देश में बीते 9 बार की एमपीसी बैठक में लगातार नीतिगत दरों (Repo Rate) को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा गया है. इससे पहले जब देश में महंगाई बेकाबू हो गई थी और 7 फीसदी के पार पहुंच गई थी. तब इसे काबू में लाने के लिए RBI ने लगातार रेपो रेट बढ़ाया था. इसमें मई 2022 से फरवरी 2023 तक कई बार बढ़ोतरी की गई थी और ये 2.5 फीसदी बढ़ा था. अब जबकि महंगाई आरबीआई के तय दायरे से भी नीचे आ गई है, तो ऐसे में इसमें कटौती की उम्मीद जागी है.

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