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    बुजुर्गों में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है मोडर्ना टीका

  • October 01, 2020


    वॉशिंगटन । अमेरिकी बायोटेक कंपनी मोडर्ना द्वारा बनाए गए कोरोना टीके ‘एमआरएनए-1273’ के पहले चरण का ट्रायल संतोषजनक नतीजे बता रहा है । यह खासतौर से बुजुर्गों में रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में सक्षम है और अब तक यह पूरी तरह से सुरक्षित है। टीके को अमेरिकी राष्ट्रीय एलर्जी संस्थान ने मोडर्ना के साथ मिलकर इस टीके को विकसित किया है।

    न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे शोध के मुताबिक टीका 55 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों के लिए अधिक कारगर रहा। बुजुर्ग मरीजों में इसके अच्छा असर दिखा। एनआईएआईडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक बुजुर्गों को कोरोना से अधिक खतरा है, ऐसे में टीके के ट्रायल के लिए इन लोगों से मिले नतीजे अहम भूमिका रखते हैं। ऐसे में इन पर हुए असर का अध्ययन अहम था। शोध में पाया गया कि बुजुर्गों पर टीके का कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ और इससे इनकी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हुआ।

    उल्‍लेखनीय है कि शोध में 56-70 की उम्र के 20 और 71 व उससे अधिक उम्र के 20 लोगों को शामिल किया गया। इनमें 10 लोगों को हल्की और 10 को अधिक खुराक दी गई। एक महीने बाद इन्हें दोबारा टीके की खुराक दी गई। इस दौरान सभी बुजुर्गों की सेहत पर बारीकी से नजर रखी गई। ज्यादातर में बेहतर परिणाम दिखे। हालांकि कुछ लोगों में हल्का बुखार और थकावट की शिकायत भी मिली। लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक टीका काफी हद तक सुरक्षित रहा।

    वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बुधवार को कहा कि वह अध्ययन करेगी कि क्या विश्व में सबसे ज्यादा बिकने वाली एंटी इंफ्लेमेट्री दवा एडालीमुमैब का कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में कारगर है या नहीं। एडालीमुमैब को एबेवी द्वारा हुमीरा ब्रांड के तहत बेचा जाता है, जिसे एंटी ट्यूमर नेक्रोसिस फेक्टर (एंटी टीएनएफ) दवा के तौर पर जाना जाता है। हालिया अध्ययन में पता चला है कि कोरोना के जो मरीज पहले से एंटी टीएनएफ दवा ले रहे हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की संभावना अन्य रोगियों के मुकाबले कम पड़ी है।

    यूनिवर्सिटी ने कहा है कि वह जल्द ही पूरे ब्रिटेन में ऐसे 750 लोगों पर इसका ट्रायल करेगी। अगर ट्रायल सफल रहता है तो इस दवा का बायोसिमिलर वर्जन सस्ता और सुलभ तौर पर उपलब्ध हो सकेगा। नोवारतिस नामक कंपनी इसका सस्ता विकल्प हाइरोमोज बनाती है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के कुछ और इलाज की पहचान की है। इसमें रेमेडिसिवर समेत जेनेरिक स्टेरायड ड्रग डेक्सामेथासॉन शामिल है।

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