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मिताली राज: भारत की ‘लेडी सचिन’

March 15, 2021

– योगेश कुमार गोयल

वर्ष 2017 में बीबीसी की 100 प्रभावशाली महिलाओं में शामिल रही भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने पूरी दुनिया में भारतीय महिला क्रिकेट का कद ऊंचा कर दिया है। 12 मार्च को लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी एकाना क्रिकेट स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय क्रिकेट सीरीज के दौरान तीसरे वनडे में 50 गेंदों पर अपनी 36 रनों की पारी में 35वां रन पूरा करते ही मिताली क्रिकेट के तीनों प्रारूपों को मिलाकर दस हजार अंतर्राष्ट्रीय रन बनाने वाली पहली महिला भारतीय और दुनिया की दूसरी महिला क्रिकेटर बन गई हैं। 38 वर्षीया मिताली से पहले इंग्लैंड की पूर्व कप्तान चार्लोट एडवर्ड्स ही यह उपलब्धि हासिल कर सकी हैं। चूंकि चार्लोट क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले चुकी हैं, ऐसे में अपने अगले मैचों में मिताली का दुनियाभर में सर्वाधिक रन बनाने वाली महिला क्रिकेटर बनना तय है। मिताली के नाम अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अब कुल 10001 रन दर्ज हैं और उनका औसत 46.73 है।

महिला क्रिकेट में मिताली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि बल्लेबाजी का लगभग हर रिकॉर्ड उनके नाम है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 22 वर्षों से भी ज्यादा समय से सक्रिय मिताली अबतक 212 वनडे, 89 टी-20 और 10 टेस्ट खेल चुकी हैं। वनडे में उन्होंने 6974, टी-20 में 2364 और टेस्ट में 663 रन बनाए हैं। वनडे मैचों में वह सात शतक और 54 अर्धशतक लगा चुकी हैं। फिलहाल 6974 रनों के साथ वनडे अंतर्राष्ट्रीय मैचों में उनके नाम दुनियाभर में सर्वाधिक रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज है। उनके बाद दूसरे नंबर पर 5992 रनों के साथ इंग्लैंड की चार्लोट एडवर्ड्स हैं। वनडे मैचों में सबसे ज्यादा बार 50 या उससे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड भी मिताली के ही नाम है। वह भारत की पहली ऐसी महिला कप्तान हैं, जिन्होंने दो वनडे विश्वकप के फाइनल में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। वनडे मैचों में मिताली का औसत 50.53 का है जबकि टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में उनका औसत 37.52 और टेस्ट मैचों में 51 का है।

मिताली ने अपने अंतर्राष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत 25 जून 1999 को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में वनडे क्रिकेट से की थी। अपने पहले ही वनडे मैच में मिताली ने 114 रनों की शानदार पारी खेलकर हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। भारत ने कुल 258 रन बनाकर वह मैच 161 रनों से जीता था जबकि आयरलैंड की टीम 50 ओवर में 9 विकेट पर केवल 97 रन ही बना सकी थी। करीब दो साल पहले 1 फरवरी 2019 को वह 200 वनडे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेलने वाली पहली महिला क्रिकेटर बनी थी। उससे कुछ ही समय पहले उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में 50 ओवरों के प्रारूप में अंतर्राष्ट्रीय मैचों का दोहरा शतक जमाने वाली पहली महिला बनने का कीर्तिमान भी स्थापित किया था। अबतक के कैरियर में मिताली ने 75 अर्धशतक और 8 शतक जड़े हैं, जिनमें से 54 अर्धशतक और सात शतक उन्होंने वनडे में लगाए। टेस्ट मैचों में उन्होंने एकमात्र शतक (214 रन) इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में टॉटन में जड़ा था।

भारतीय महिला टीम को आज दुनियाभर में वनडे में दूसरे नंबर की और टी-20 में तीसरे नंबर की टीम माना जाता है और इसमें फिटनेस, कौशल तथा क्रिकेट के प्रति समर्पण भाव के लिए मिसाल मानी जाने वाली मिताली के महत्वपूर्ण योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दरअसल जिस दौर में मिताली ने अपने कैरियर की शुरुआत की थी, तब भारतीय महिला टीम की गिनती हारने वाली टीमों में होती थी लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मैचों में मिताली का बल्ला ऐसा चला कि 2002 के बाद टीम इंडिया की स्थिति सुधरती गई और 2005 के वनडे विश्वकप फाइनल तक पहुंचने के बाद टीम इंडिया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। टीम इंडिया को बेहतर स्थिति में ले जाने में अंजू जैन, अंजुम चोपड़ा, झूलन गोस्वामी, ममता माबेन इत्यादि खिलाड़ियों के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता।

मूल रूप से तमिल परिवार से संबंध रखने वाली हैदराबाद की मिताली का जन्म 3 दिसम्बर 1982 को जोधपुर में हुआ था। 10 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया तथा 17 साल की उम्र में वह भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गई। 26 जून 1999 को आयरलैंड के साथ हुए मैच से वनडे में मिताली के कैरियर का शानदार आगाज हुआ, जब उन्होंने 114 रनों की नाबाद पारी खेली। तब से अभी तक उन्होंने कई कीर्तिमान भारत की झोली में डाले हैं। 14 जनवरी 2002 को इंग्लैंड के साथ खेले गए मैच से मिताली के टेस्ट कैरियर की शुरुआत हुई थी, जिसमें वह बिना खाता खोले पैवेलियन लौट गई थी। 2005 में दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्वकप में मिताली की कप्तानी में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम को हार का सामना करना पड़ा लेकिन अगले ही साल 2006 में मिताली की ही कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को उसी की जमीन पर धूल चटाते हुए एशिया कप अपने नाम किया।

मिताली का कहना है कि जब उन्होंने अपना कैरियर शुरू किया था तो सोचा नहीं था कि वो इतनी दूर तक पहुंच पाएंगी। हालांकि उनके 22 वर्षों के इंटरनेशल कैरियर में काफी उतार-चढ़ाव आए। कई विवाद भी हुए। जिनमें टी-20 की कप्तानी छोड़ना भी शामिल है लेकिन इसके बावजूद उनके बल्ले से रनों का पहाड़ निकलता रहा और उसी का नतीजा है कि वह आज सफलता के सातवें आसमान हैं। दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय मैचों में सर्वाधिक रन बनाने वाली दूसरी खिलाड़ी और पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। उनकी कुछ उपलब्धियां तो ऐसी हैं कि कुछ रिकॉर्ड के मामले में तो वह विराट कोहली सहित दूसरे पुरुष खिलाड़ियों को भी पीछे छोड़ चुकी हैं। वह अंतर्राष्ट्रीय टी-20 मैचों में रन बनाने के मामले में रोहित शर्मा और विराट कोहली को भी पीछे छोड़ चुकी हैं। टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाली वह पहली महिला खिलाड़ी हैं। आईसीसी वर्ल्ड रैंकिंग में वह 2010, 2011 तथा 2012 में प्रथम स्थान पर रही हैं। मिताली के शानदार खेल प्रदर्शन के कारण ही उन्हें भारत की ‘लेडी सचिन’ भी कहा जाता है। बहरहाल, 38 वर्ष की आयु में भी टीम इंडिया की वनडे क्रिकेट की कप्तानी संभालते हुए महिला टीम को बुलंदियों तक ले जा रही मिताली से देश को आनेवाले समय में बहुत उम्मीदें हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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