नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर (Tawang Sector) में 9 दिसंबर को चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प को लेकर एक तरफ जहां भारत एक्शन (Bharat Action) में आ गया तो वहीं दूसरी ओर अब सरकार को विपक्ष भी घेर रहा है।
आपको बता दें कि गत दिवस कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने को इस बात पर चिंता जताई कि 9 दिसंबर को पीएलए सैनिकों द्वारा किए गए अतिक्रमण के प्रयासों के बाद अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर हालात संवेदनशील होने के बावजूद सरकार ने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की।
Foreign Minister @DrSJaishankar should perhaps revisit certain chapters of Indian history & diplomacy.
He is unfortunately making same error Defense Minister Krishna Menon – another great diplomat made. When the threat is China he is focusing on Pakistan!https://t.co/uYoENzCQP8— Manish Tewari (@ManishTewari) December 15, 2022
उन्होंने इस बात पर भी निराशा जताई कि सितंबर 2020 से अब तक संसद का यह छठा सत्र है और भारत-चीन संबंधों और एलएसी के मौजूदा हालाता पर कोई चर्चा नहीं हुई है। गालवान घाटी गतिरोध मई 2020 में हुआ था।
मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर को शायद भारतीय इतिहास और कूटनीति के कुछ अध्यायों पर दोबारा गौर करना चाहिए। दुर्भाग्य से वे वही गलती कर रहे हैं जो रक्षा मंत्री कृष्णा मेनन ने की थी। जब खतरा चीन से है तो वह पाकिस्तान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं!’ बता दें कि मनीष तिवारी ने चीन के साथ सीमा की स्थिति पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है।
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