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    मिशन तेलंगाना: हैदराबाद में 18 साल बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, BJP की पूरे दक्षिण भारत पर नजर

  • July 02, 2022

    नई दिल्ली। 18 साल बाद हैदराबाद (Hyderabad) में दो और तीन जुलाई को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (national executive meeting) करने जा रही भाजपा (BJP) का अब नया मिशन तेलंगाना (new mission telangana) तो है ही, लेकिन यहां से वह समूचे दक्षिण भारत (South India) को नया राजनीतिक संदेश (new political message) देगी। महाराष्ट्र (Maharashtra) में हाल में हुए बड़े राजनीतिक बदलाव का असर भी कार्यकारिणी में दिखेगा। इससे पार्टी अपनी विचारधारा और सबको साथ लेकर चलने का आह्वान भी नए सिरे से करती दिखेगी।

    बैठक के पहले भाजपा ने बड़ी तैयारी की है। तेलंगाना के सभी 119 विधानसभा क्षेत्रों में राष्ट्रीय नेताओं ने दो दिन का प्रवास किया है। हर क्षेत्र में सात बड़ी बैठकें कर माहौल गरमाया है। इसकी गूंज केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में सुनाई देगी। बैठक के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के लिए भी भी बड़ी तैयारी है। इसमें राज्य के सभी 35000 बूथों से भाजपा के कार्यकर्ता जुटेंगे।


    केसीआर पर हमलावर
    पार्टी महासचिव और तेलंगाना प्रभारी तरुण चुग ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव(केसीआर) सरकार पर निशाना साधा। कहा कि पूरी सरकार पर परिवार का कब्जा है। तेलंगाना सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। अब केवल 522 दिन बाकी है। इसके बाद बदलाव तय है।

    14 समाजों के साथ बैठक
    बैठक के लिए भाजपा हैदराबाद में विभिन्न राज्यों से जुड़े 14 समाजों की बैठकें करेगी। इनमें यूपी, बिहार, झारखंड, असम, बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान से आकर तेलंगाना में रह रहे और काम कर रहे लोगों के समूह शामिल हैं। बैठकों को इन राज्यों से जुड़े प्रमुख नेता संबोधित करेंगे। भाजपा की तैयारी मुख्यमंत्री राव के खिलाफ बन रहे माहौल को भुनाने की है। बीते सालों में भाजपा ने प्रभाव बढ़ाया है। वह अब उसे सत्ता तक ले जाने में जुटी है।

    निजाम पर भी निशाना
    कार्यकारिणी स्थल पर पार्टी ने बड़ी प्रदर्शनी लगाई है। इसमें पूर्व के निजाम शासन के दौरान राज कर सेना के अत्याचारों को दिखाया है। इसे राजनीतिक रूप में सामाजिक ध्रुवीकरण का प्रयास माना जा सकता है। इससे चुनावी लाभ मिल सकता है। इसके अलावा पृथक तेलंगाना बनने के संघर्ष में भूमिका को प्रदर्शित किया है। हालांकि, इस आंदोलन के लिए केसीआर को ही जाना जाता है, लेकिन भाजपा इसमें केसीआर के बजाय उनके परिवार पर निशाना साध रही है कि वे आंदोलन के समय कहां थे।

    दूसरे राज्यों तक संदेश
    पार्टी के प्रमुख नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में जिस तरह भाजपा ने अपने खुद के हाथ में नेतृत्व लेने के बजाय शिवसेना के बागी गुट को ही कमान सौंपी। इससे साफ है कि पार्टी निजी हित से ज्यादा विचारधारा को महत्व देती है। इसका लाभ उसे आने वाले चुनाव में भी मिल सकता है। कार्यकारिणी से यह संदेश दूसरे राज्यों तक ले जाएगी।

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