नई दिल्ली (New Delhi)। मिशन 2024 (Mission 2024) की तैयारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी दलों के ओर से तेज कर दी गई है। अब बीजेपी यूपी (UP BJP) भी मिशन मोड में अपने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है। इसके लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) से लेकर राज्य के बड़े नेता तक एक्टिव नजर आ रहे हैं। इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी जल्द राज्य में मोर्चा संभालने वाले हैं।
बात कर रहे हैं कर्नाटक की जहां आने वाले समय में होने वाले विधानसभा चुनाव से ही 2024 के आम चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो जाएगा। कर्नाटक के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव होंगे। इन चार राज्यों में लोकसभा की 93 सीटें हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 86 और 2014 में 79 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस सियासी सरगर्मी के साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में भी उठापटक चल रही है। इसके अलावा बिहार में भी नीतीश कुमार के भाजपा गठबंधन से अलग होने के बाद राजनीति बहुत गरम है। ये दोनों ही राज्य ऐसे हैं जहां भाजपा का पुराना गठबंधन टूट चुका है। 2024 के चुनाव में इन राज्यों की भी बड़ी भूमिका होने वाली है।
भाजपा के लिए क्यों अहम हैं बिहार और महाराष्ट्र
इन दो राज्यों में कुल 88 लोकसभा सीटें हैं। साल 2014 और 2019 में क्रमशः भाजपा ने 45 और 40 सीटें जीती थीं। वहीं बात करें गठबंधन की तो एनडीए ने दो राज्यों में 2019 में 80 सीटें जीतीं। इन संख्याओं से ही पता चल जाता है कि दोनों ही राज्य भाजपा के लिए कितना मायने रखते हैं। 2019 में भाजपा ने अकेले ही 303 सीटें जीती थीं। लेकिन अगर इन दोनों राज्यों की जीती हुई सीटें हटा दी जाएं तो भाजपा बहुमत के आंकड़े से नीचे आ जाए।
बात करें बिहार की तो विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए। बाद में गठबंधन में छोटे सहयोगी रहने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गाय, लेकिन 2022 में उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ आरजेडी का साथ पकड़ा और दूसरी सरकार बना लगी। अब उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू से विदा ले ली है जिसके बाद कयास लग रहे हैं कि जेडीयू में भी सब कुछ ठीक नहीं है। अगर बिहार और महाराष्ट्र में भाजपा और गैर भाजपा के बीच वोट बंट जाता है तो 2014 और 2019 की तरह भाजपा कमाल नहीं कर पाएगी।
महाराष्ट्र और बिहार में अब भाजपा और विपक्षी गठबंधन दोनों के लिए ही चुनौती खड़ी हो गई है।
महाराष्ट्र में भाजपा ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रयास करेगी। अब इसका प्रभाव एकनाथ शिंदे और उनकी शिवसेना पर कैसा पड़ेगा यह भविष्य ही बताएगा। भाजपा मुख्यमंत्री पद के साथ पहले भी समझौता कर चुकी है। ऐसे में लगता नहीं है कि लोकसभा चुनाव में वह सीटों के मामले में कोई समझौता करने को तैयार होगी। वहीं महाराष्ट्र में विपक्ष के लिए भी गठबंधन में टिके रहना चुनौती है। इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि जेडीयू और शिवसेना ने जब अकेले चुनाव लड़ा तो उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था।
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