नई दिल्ली । उत्तर कोरिया (North Korea) के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में कड़े प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी (America) कोशिशों को गुरूवार को बड़ा झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों के मसौदे पर चीन और रूस (China and Russia) ने अपना वीटो लगा दिया है. उत्तर कोरिया ने हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपण किया था, जिसका इस्तेमाल परमाणु हथियारों ले जाने में किया जा सकता है. उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों को लेकर जो प्रस्ताव लाए गए थे, उस पर संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली संस्था में साफतौर पर गंभीर रूप से विभाजन दिखा.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने साल 2006 में उत्तर कोरिया के पहले मिसाइल परीक्षण के बाद उसके ऊपर प्रतिबंध लगाए थे और उसके परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के चलते प्रतिबंध और कड़ा किया जाता रहा. इसके साथ ही, फंडिंग में भी कटौती की गई. अमेरिका के राजदूत लिंडा थॉमस ने गुरुवार को वोटिंग से पहले एकजुटता क अपील करते हुए कहा कि इस साल उत्तर कोरिया की तररफ से किए गए छह अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा है.
उत्तर कोरिया द्वारा हाल में अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करने बाद उस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका ने प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया था. संयुक्त राष्ट्र में चीन में राजदूत झांग जुन ने प्रतिबंध लगाने की बजाय उत्तर कोरिया के साथ संवाद बहाल करने के लिए ‘‘अर्थपूर्ण और तार्किक कार्रवाई’’ करने के लिए अमेरिका का आह्वान किया था. उन्होंने इससे पहले ये साफ नहीं किया था कि गुरूवार दोपहर (स्थानीय समयानुसार) को सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पर होने वाले मतदान में चीन गैर हाजिर रहेगा या प्रस्ताव पर वीटो करेगा.
मिसाइल प्रक्षेपण से नहीं बाज आ रहा उत्तर कोरिया
इससे पहले, उत्तर कोरिया ने बुधवार को समुद्र में एक संदिग्ध इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) और दो कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. दक्षिण कोरिया ने यह जानकारी दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की एशिया की यात्रा समाप्त होने के कुछ घंटों बाद ही उत्तर कोरिया ने यह परीक्षण किया. बाइडन ने अपनी यात्रा के दौरान इस बात की पुन: पुष्टि की है कि अमेरिका उत्तर कोरिया के खतरे के मद्देनजर अपने सहयोगियों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
2018 में लंबी दूरी की मिसाइलों के परीक्षण पर अपने प्रतिबंध को दरकिनार करत हुए उत्तर कोरिया ने मार्च में दावा किया था कि उसने सबसे लंबी दूरी की मिसाइल का परीक्षण किया है जो अमेरिका तक पहुंच सकती है. यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि कोविड-19 का प्रकोप उसके देश में कमज़ोर पड़ रहा है. हालांकि इसे लेकर विवाद है.
दक्षिण कोरिया ने कहा- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करेंगे अलग-थलग
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आपात बैठक के बाद, दक्षिण कोरिया की सरकार ने कहा कि उत्तर कोरिया ने एक संदिग्ध आईसीबीएम और दो कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है. दक्षिण कोरियाई सरकार ने एक बयान में कहा कि उत्तर कोरिया के लगातार उकसाने वाले कदम दक्षिण कोरिया और अमेरिका के संयुक्त निवारक कदमों को और मज़बूत करेंगे तथा इससे उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग पड़ेगा.
बयान में कहा गया, “ हमारी सरकार उत्तर कोरिया की ओर से किसी भी तरह के उकसावे का कड़ा और प्रभावी जवाब देने के लिए लगातार तैयारी रखती है.” दक्षिण कोरिया के उप राष्ट्रीय सलाहकार किम तेई-हेओ ने पत्रकारों से कहा कि पहली मिसाइल का आकलन किया गया था जो उत्तर कोरिया की सबसे बड़ी ह्वासोंग-17 मिसाइल है और इसकी संभावित क्षमता में संपूर्ण अमेरिकी मुख्य भूमि आती है. ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने बयान में कहा कि इसके जवाब में अपनी क्षमता दिखाने के लिए अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सेना ने सतह से सतह पर मार करने वाली दो मिसाइलें दागीं.
उसने कहा कि उत्तर कोरिया की ओर से मिसाइल परीक्षण किए जाने की जानकारी पहले ही मिल गई थी और इसे देखते हुए दक्षिण कोरिया की वायु सेना के 30 एफ-15 के लड़ाकू विमानों ने मंगलवार को अभ्यास किया था. अमेरिकी हिंद प्रशांत कमान ने पहले कहा था कि मिसाइल परीक्षण उत्तर कोरिया के ‘अवैध’ हथियार कार्यक्रम के अस्थिर प्रभाव को रेखांकित करता है और इससे अमेरिकी क्षेत्र तथा इसके सहयोगियों को तत्काल कोई खतरा नहीं है.
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