विव्हल मन से भरी दु:खद यह पंक्तियां आज जनमानस तक पहुंचाते बेहद खेद है कि कोरोना संक्रमण की महामारी ने आज हमसे हमारे तीन दशक से जुड़े साथी श्री राजेश मिश्रा को छीन लिया… करीब एक सप्ताह के अथक संघर्ष के बाद आज सुबह श्री राजेश मिश्रा ने असामयिक अपनी जीवन यात्रा का महाप्रयाण कर लिया… राजेश बेहद हंसमुख, मिलनसार, मनमौजी, नि:स्वार्थ, सहिष्णु और समर्पित होने के साथ ही अपनी जिम्मेदारियों के प्रति न केवल सजग थे, बल्कि पूरे शहर के चहेते भी थे… उनका अवसान समाचार पत्र, उनके मित्रों और परिजनों के लिए आघात तो है ही, लेकिन हम भी हर सुबह उनकी चिर-परिचित मुस्कान से होने वाली शुरुआत से महरूम हो गए हैं… ईश्वर उनके परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान कर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करे…
जिंदगी की जंग में मौत छीन ले गए मिश्राजी को
इन दिनों फेसबुक पर जन्मदिन की बधाइयां कम, बल्कि शोक संदेश ज्यादा नजर आ रहे हैं और वो भी कोरोना जैसी महामारी से हम अपनों को खोते जा रहे हैं। जो मोबाइल सुबह से खबरों के लिए बजता था, उस पर आज ऐसी खबर आएगी ये सोचा ना था। घंटी बजी और नाम मीना दीदी लिखा आया। सोचा कि राजेश मिश्राजी के हाल-चाल बताने के लिए आया होगा, लेकिन मोबाइल चालू करने के बाद भी उधर से आवाज नहीं आई और एक दबी आवाज में इतना ही कहा कि ‘मिश्राजी चले गए’। पिछले तीन दिनों से तबियत ज्यादा खराब थी। फेफड़ों में संक्रमण के कारण पहले सुपर स्पेशलिटी में भर्ती हुए और उसके बाद कोरोना के रेपिड एंटीजन टेस्ट में नेगेटिव आने पर खुश हो गए कि चलो कोरोना नहीं है। घर आ गए और दवाइयां लेते रहे, लेकिन तीन दिन पहले तबियत बिगड़ी तो बड़े बॉस राजेश चेलावतजी, अक्षत भाई की मदद से इंडेक्स में इलाज के लिए पहुंचा दिया। तबसे रोज मेरी, मीना दीदी और ज्वेलजी की लगातार बात मिश्राजी की पत्नी से होती रही, लेकिन जब किस्मत साथ नहीं देती है, तब इंसान की कोशिशें भी पीछे रह जाती है और आज मिश्राजी हमें छोडक़र चले गए। अग्रिबाण में मेरे से पहले थे और 22 साल का साथ उनसे था। प्यार से संजू बाबू कहते और प्रेस में हर किसी के लिए प्यार से कुछ न कुछ शब्द इस्तेमाल करते थे। पत्रकारिता के उस दौर में जब संसाधन सीमित थे, तब उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। परिवार में भी कल पहुंचा तो छोटी बच्ची कह रही थी कि अंकल पापा कल घर आ जाएंगे ना? मैंने उन्हें दिलासा तो दिलाई, लेकिन आंख से आंख मिलाकर यह नहीं कह पाया कि हां बेटा पापा ठीक होकर ही घर आएंगे? लाख कोशिशों के बावजूद मिश्राजी अनंत यात्रा पर चल दिए। आज का मनहूस दिन अग्रिबाण परिवार के लिए क्षति तो है, जिसने अपना एक सिपाहसालार खोया है, अग्रिबाण परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि…
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