दुमका । झारखंड (Jharkhand) में अभी दुमका की बेटी अंकिता का मामला शांत नहीं हुआ कि अब एक और नाबालिग को मौत के घाट उतार दिया गया. विश्वविद्यालय थाना (university police station) के श्रीअमड़ा से पुलिस को किशोरी का पेड़ से लटकता हुआ शव मिला. मरने वाली किशोरी (teenager) की उम्र 14 साल के आसपास है और वह आदिवासी समुदाय की थी. मृतका रानेश्वर थाना इलाके के रंगलिया पंचायत की थीं. पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया है.
सूत्रों के मुताबिक, रंगलिया के कोचीया डगाल की रहने वाली युवती दुमका(Dumka) के जामा स्थित अपनी मौसी के घर काम करती थी. इस दरम्यान अरमान अंसारी नाम के एक मुस्लिम युवक ने उसे प्रेम जाल में फंसाया और उसे गर्भवती कर दिया. जब आरोपी पर शादी का दबाव बनाया तो एक साजिश के तहत युवती की हत्या कर दी गई.
पुलिस अफसरों ने की पुष्टि
डीआईजी सुदर्शन मंडल ने घटना की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि लड़की की दुष्कर्म के बाद हत्या की गई. इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं, जिले के एसपी अम्बर लकड़ा ने भी बताया कि इस केस में अरमान अंसारी नामक एक युवक को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि एसपी ने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
BJP हुई हमलावर
झारखंड में 10 दिन के भीतर दूसरी लड़की की हत्या को लेकर राजनीति तेज हो गई है. इस मामले को लेकर भाजपा के नेशनल आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय और प्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री और बीजेपी नेत्री लुईस मरांडी (Louis Marandi) ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को आड़े हाथों लिया है.
झारखंड सरकार कहां है: लुईस मरांडी
लुईस ने ट्वीट कर कहा, ”यह आखिर क्या हो रहा है हमारे दुमका में? अंकिता सिंह के बाद अब अरमान अंसारी ने दुमका में एक नाबालिग आदिवासी लड़की के साथ रेप, हत्या कर उसे पेड़ से लटका दिया. और झारखंड सरकार कहां है: फिलहाल रायपुर के पांच सितारा Resort में है. धिक्कार है !!! अक्षम झारखंड सरकार का दंश हमारी दुमका की बेटियां कब तक झेलेंगी. अब समय आ गया है कि दुमका कि महिलाएं एकजुट हों और महिला समूहों के माध्यम से गांव-गांव में अपनी सुरक्षा अपने हाथों में लें.”
कट्टरपंथी तत्व हावी: अमित मालवीय
उधर, BJP नेता अमित मालवीय ने ट्विटर पर लिखा, ”अंकिता सिंह के बाद अब अरमान अंसारी ने दुमका में एक नाबालिग आदिवासी लड़की के साथ रेप, हत्या कर उसे पेड़ से लटका दिया. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड में दलित और आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं. सोरेन ने खुद और परिवार को खदान के पट्टे बांटने में व्यस्त रखा और कट्टरपंथी तत्वों को हावी होने दिया.”
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