इस्लामाबाद । ईशनिंदा का आरोप लगाकर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न जारी है। ताजा मामला कराची के शोभराज मैटरनिटी हॉस्पिटल में काम करने वाली एक ईसाई नर्स तबिता नजीर गिल से जुड़ा है। गिल के मुताबिक मुस्लिम सहयोगियों ने ना केवल उसे पीटा बल्कि पुलिस को इस बात के लिए राजी भी कर लिया कि उसके खिलाफ ईशनिंदा का मामला दर्ज किया जाए। पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप साबित होने पर अदालत मौत तक की सजा सुना सकती है।
आब्जर्वर ने स्थानीय पादरी के हवाले से बताया, ‘घटना 28 जनवरी की है। मामला तब बिगड़ा जब पीडि़ता ने एक गर्भवती से सिर्फ इतना कहा कि वह उसके लिए प्रार्थना करेगी, क्योंकि यह उसका पहला बच्चा है। इतना कहते ही वहां मौजूद नर्सें उस पर टूट पड़ी। वह बचने के लिए कमरे-कमरे भागती रही और आखिरी में अपने आपको एक कमरे में बंद कर लिया।’
इस पर पुरुष सहकर्मियों ने खिड़की के रास्ते से कमरे का दरवाजा खोला और फिर नर्सों को नजीर गिल को पीटने के लिए कहा। नर्से उसे मारते हुए तीसरी मंजिल से भूतल तक ले आई। स्थानीय पादरी ने कहा कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी। पिछले कई महीनों से नजीर और साथी महिला नर्सो के बीच तनाव चल रहा था। कई मौकों पर आरोपितों ने उससे नौकरी छोड़ने या दूसरे अस्पताल में स्थानांतरण करा लेने को भी कहा था। तनाव का प्रमुख वजह नजीर गिल का ईसाई होना था।
हादसे के बाद नजीर गिल को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया लेकिन ईशनिंदा जैसा कोई सुबूत नहीं मिलने के बाद उसे छोड़ दिया गया। हालांकि घटना के दूसरे दिन अस्पताल कर्मी और मौलवी पुलिस थाने पहुंचे और उन्हें ईशनिंदा का मामला दर्ज करने के लिए राजी कर लिया। पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-सी के तहत ईशनिंदा का मामला दर्ज किया जाता है। इस बीच इंटरनेट मीडिया पर घटना से जुड़े जो भी वीडियो चल रहे उसमें कहीं भी नजीर गिल पैंगबर मुहम्मद के खिलाफ टिप्पणी करते नहीं दिख रही है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 की एमनेस्टी इंटरनेशनल रिपोर्ट का हवाला देते हुए फ्रांस24 आब्जर्वर ने बताया कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामलों की कोई सटीक जानकारी नहीं है। हालांकि नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस (एनसीजेपी) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार 1987 से 2016 के बीच कम से कम 1,335 लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम के मुताबिक पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में कम से कम 40 लोगों को दोषी ठहराया गया है, जिन्हें आजीवन कारावास या मौत की सजा सुनाई गई है।
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