भोपाल। प्रदेश में सबसे बड़े पंचायत चुनाव का ऐलान हो चुका है और आज से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने शासन को कुछ सिफारिशें की थी, मंत्रालय के अफसरों ने आयोग की सिफारिशों पर अमल करना भी जरूरी नहीं समझा। आयोग ने चुनाव की घोषणा के पहले 3 साल से जिलों में पदस्थ तहसीलदार, नायब तहससीलदार, एसडीएम, पुलिस अफसर एवं पंचायत सचिव एवं सहायक सचिवों को हटाने की सिफारिश की थी, लेकिन संबंधित विभागों ने आयोग की सिफारिश को गंभीरता से भी नहीं लिया।
…तो बदलेंगे आधे से ज्यादा पंचायत सचिव
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की घोषणा के तत्काल बाद ग्राम पंचायतो में 3 साल या उससे अधिक समय से पदस्थ पंचायत सचिव एवं सहायक सचिवों को हटाने की सिफारिश की थी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अभी तक चुनाव आयोग की इस सिफारिश पर एक भी पंचायत सचिव का तबादला नहीं किया गया है। जबकि आज से पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा था कि निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पंचायत सचिव एवं सहायक सचिवों का हटाना है। सूत्रों ने बताया कि पंचायत सचिव हटाने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अभी तक कलेक्टरों को किसी तरह के दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं। वहीं अफसरों का तर्क है कि यदि चुनाव आयोग की अनुशंसा पर सचिव एवं सहायक सचिवों को हटाना पड़ा तो फिर 55 फीसदी से ज्यादा पंचायतें प्रभावित होंगी। क्योंकि ज्यादातर पंचायतों में सचिव एवं सहायक सचिव सालों से जमे हैं।
कोर्ट के फैसले के इंतजार में अफसर
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि पंचायत चुनाव को लेकर कोर्ट में याचिकाएं लगी हैं। जिन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना है। अफसरों को उम्मीद हैं कि कोर्ट पंचायत चुनाव पर रोक लगा सकता है। यदि चुनाव पर रोक लगी तो फिर तबादलों का झंझट खत्म हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव तीन चरणों में घोषित किए हैं। पहले चरण में 6 जनवरी दूसरे चरण में 28 जनवरी एवं तीसरे चरण में 16 फरवरी को मतदान होना है। पहले एवं दूसरे चरण के मतदान के लिए आज से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
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