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आयुष मंत्रालय ने जारी किए दिशा-निर्देश, कोरोना की तीसरी लहर से अपने बच्चे को कैसे बचाया जाए

June 14, 2021

नई दिल्‍ली। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है. ऐसे में बच्चों को वायरस से बचाने और उनका ख्याल रखने के लिए आयुष मंत्रालय ने जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अपनी इस गाइडलाइन में मंत्रालय ने आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा के उपयोग के साथ मास्क पहनने, योगा करने, बीमारी के पांच लक्षण की पहचान पर नजर रखने, डॉक्टरों के साथ टेली कंसल्टेशन की सलाह के साथ माता-पिता को टीकाकरण कराने की सलाह पर विस्तार से जानकारी दी है.

हालांकि युवाओं की तुलना में बच्चों में संक्रमण आमतौर पर हल्का होता है और कोविड -19 संक्रमण वाले अधिकांश बच्चों को किसी विशिष्ट इलाज (specific treatment) की आवश्यकता नहीं होती है. यह देखा गया है कि बच्चों को इस घातक वायरस से बचाने के लिए प्रोफिलैक्सिस सबसे अच्छा तरीका है. प्रोफिलैक्सिस का मतलब रोगनिरोधन (Prophylaxis) का आशय है ‘रोग से बचने के लिए उपाय करना’.

आयुर्वेद दवाओं ने कोरोना के बचाव में दिखाया प्रभाव
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अब तक की गई विभिन्न स्टडी में, कुछ आयुर्वेद दवाओं ने कोविड -19 के उपचार में अपना प्रभाव दिखाया है. मोटापे, टाइप -1 मधुमेह, पुरानी कार्डियोपल्मोनरी बीमारी से परेशान बच्चे अधिक जोखिम में हो सकते हैं. मंत्रालय ने कहा कि हालांकि बच्चों की प्रतिरक्षा काफी मजबूत है, लेकिन कई म्यूटेंट वायरस उपभेदों के उभरने के साथ, इसके प्रभाव को रोकने के लिए कोविड -19 से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक है.


बच्चों के लिए आयुष मंत्रालय की सलाह

  1. दिशानिर्देशों में बच्चों को अक्सर हाथ धोने और मास्क पहनने पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि अगर बच्चा स्वेच्छा से हाथ नहीं धोता है, तो एक छोटा सा इनाम देना मददगार हो सकता है. 5 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मास्क अनिवार्य है, जबकि 2-5 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए, मास्क इतना जरूरी नहीं है.
  2. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि नॉन-मेडिकल या फैब्रिक थ्री-लेयर कॉटन मास्क बच्चों के लिए बेहतर हैं. बच्चों को अच्छे अनुपालन के लिए आकर्षक, रंगीन और ट्रेंडी मास्क दिए जा सकते हैं. इसमें कहा गया है कि बच्चों को ज्यादातर घर पर रहना चाहिए और यात्रा से बचना चाहिए.
  3. कोविड संदिग्ध बच्चों को अपने दादा-दादी के संपर्क में नहीं होना चाहिए, क्योंकि बुजुर्गों को गंभीर बीमारी का बहुत अधिक खतरा होता है. माता-पिता को भी पांच चेतावनी संकेतों के लिए बच्चे की निगरानी करने की सलाह दी गई है. चार-पांच दिनों से अधिक समय तक बुखार, बच्चे का सुस्त होना, श्वसन दर (respiratory rate) में वृद्धि और ऑक्सीजन संतृप्ति (oxygen saturation) 95 प्रतिशत से नीचे गिरना, अगर बच्चे में कोई भी लक्षण मौजूद हैं, तो चिकित्सकीय राय लेनी चाहिए.

‘खाने-पीने का रखें ध्यान’

  1. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि बच्चों को पीने के लिए गुनगुना पानी दिया जाना चाहिए, दो साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सुबह और रात में ब्रश करके पूरी तरह सफाई रखनी चाहिए.
  2. 5 साल से अधिक उम्र के बच्चों को गर्म पानी से गरारे कराने चाहिए. दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि तेल मालिश, नाक में तेल लगाना और योग अभ्यास जैसे प्राणायाम और ध्यान करना उनके लिए मददगार होगा.
  3. आयुर्वेद चिकित्सकों के मार्गदर्शन के लिए आयुर्वेद रोगनिरोधी उपाय और हल्दी दूध, चवनप्राश और पारंपरिक जड़ी बूटियों का काढ़ा (आयुष बाल क्वाथ) बच्चों को देना चाहिए.
  4. बच्चों को पर्याप्त नींद और आसानी से पचने योग्य, ताजा और गर्म और संतुलित आहार भी देना चाहिए. हर शाम बच्चों के खेल क्षेत्र, बिस्तर, कपड़े और खिलौनों को सैनिटाइज करना चाहिए.

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