– विजयवर्गीय बोले- आखिर परेशानी क्या है, लालवानी निरुत्तर रहे, रणदिवे ने कहा- कुछ हो नहीं रहा
– विधायकों ने साफ कहा- इतना खर्चा हमारे बस की बात नहीं, विधानसभा चुनाव का कर्ज ही नहीं उतरा अभी तो
इंदौर, अरविंद तिवारी। दिल्ली (Delhi) की हिदायत के बाद रविवार रात एक जाजम (bedspread) पर बैठे इंदौर के भाजपा (BJP) नेता भी आने वाले दिनों में होने वाले चुनाव खर्च को लेकर कोई हल निकाल नहीं पाए। चुनाव (Election) खर्च के मुद्दे पर सबकी बात सुनने के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी (Shankar Lalwani) से पूछा, आप क्या कर रहे हो, आखिर परेशानी कहां है? उनके बार-बार पूछे जाने के बावजूद लालवानी निरुत्तर रहे। पार्टी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने इतना जरूर कहा कि हम पांच बार बैठ चुके हैं, लेकिन ुकुछ हो नहीं रहा।
दरअसल, केंद्रीय नेतृत्व ने इंदौर में चुनाव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता और मतदाताओं को जागरूक करने की दिशा में पार्टी स्तर से कोई विशेष प्रयास न होने पर नाराजगी जताते हुए सबको एक साथ बैठकर रणनीति बनाने के लिए कहा था। इसी के चलते सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, कृष्णमुरारी मोघे, बाबूसिंह रघुवंशी, इंदौर संभाग के प्रभारी राघवेंद्र गौतम, जयपाल सिंह चावड़ा तथा महेंद्र हार्डिया को छोड़ बाकी सात विधायक और चुनाव से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेता एक साथ बैठे।
बैठक की शुरुआत में ही बात उठी कि माहौल बन नहीं पा रहा है, कार्यकर्ता एक्टिव नहीं हैं, मतदाता पर्ची छपकर आ चुकी है, लेकिन कार्यालय से ले नहीं जा रहे हैं, कार्यालय पर बड़ी संख्या में प्रचार सामग्री उपलब्ध है, इसका भी उपयोग नहीं हो रहा है। लंबी चर्चा के बाद यह बात सामने आई कि आर्थिक संसाधन की मांग पूरी नहीं होने के कारण कार्यकर्ता चुनाव में रुचि नहीं ले रहे हैं। बैठक में मौजूद विधायकों ने कहा कि जिस तरह से विधानसभा चुनाव के समय हमने हाथ खोलकर खर्च किया था, वैसा नहीं तो कम से कम आधा तो खर्च हो।
नगर अध्यक्ष गौरव राणदिवे ने अपनी बात रखी और कहा कि हम इस विषय पर बातचीत के लिए 5-6 बार बैठ चुके हैं, लेकिन कुछ हो ही नहीं रहा। सभी की बात सुनने के बाद मंत्री विजयवर्गीय ने लालवानी से पूछा, आखिर परेशानी क्या है, ज्यादा समय बचा नहीं है, अब तो बटुआ खोलना पड़ेगा शंकरजी। उन्होंने दो-तीन बार लालवानी की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे काम नहीं चलेगा। इस सब पर लालवानी निरुत्तर रहे। उनकी चुप्पी ने बैठक में मौजूद दूसरे नेताओं को भी चौंकाया।
पार्टी का फरमान… बड़ी बैठक करो, सवाल उठा खर्च कौन उठाए
बैठक में तय किया गया कि विधानसभा के मंडल स्तर पर बड़ी बैठक की जाए। इनमें ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं की मौजूदगी रहे और उन्हें अधिक से अधिक मतदान की दिशा में सक्रिय करने की रणनीति बने। इसी तरह युवा मोर्चा, महिला मोर्चा के भी मंडल स्तर पर सम्मेलन हों। अब सवाल यह उठ रहा है कि इन आयोजनों पर होने वाला खर्च कौन वहन करेगा। विधायक पहले ही हाथ खड़े कर चुके थे व रविवार रात की बैठक में भी उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि हम तो अभी विधानसभा चुनाव के कर्ज से ही उभर नहीं पाए हैं, यह खर्चा हम नहीं उठा पाएंगे।
संभावित नतीजे के कारण मुट्ठी बांध ली है लालवानी ने
कांग्रेस के उम्मीदवार के मैदान से बाहर होने के पहले से ही इंदौर के नतीजे को लेकर परिदृश्य स्पष्ट था। उनके नाम वापस लेने के बाद तो भाजपा उम्मीदवार की बड़ी जीत का आकलन हो रहा है। इसी संभावित जीत के चलते लालवानी ने मुट्ठी बंद कर ली है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने जितना खर्च किया था, उसका 25 प्रतिशत भी वे इस चुनाव में खर्च करने को तैयार नहीं है।
अब बड़ी चिंता मतदान के दिन का मैनेजमेंट, विजयवर्गीय संभालेंगे मोर्चा
पार्टी नेताओं की चिंता अब मतदान के दिन के मैनेजमेंट को लेकर है। इंदौर संसदीय क्षेत्र में करीब 2600 पोलिंग बूथ हैं। प्रति बूथ 10 हजार रुपए के मान से भी खर्चा जोड़ा जाए तो यह राशि ढाई करोड रुपए से भी ज्यादा की होती है। इसके अलावा करीब 50 लाख रुपए का अन्य खर्च है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अब इस मामले में विजयवर्गीय ही मोर्चा संभालेंगे। लालवानी से नाराज विधायकों को भी वही समझाने-बुझाने में लगे हुए हैं।
हर बूथ पर पांच कार्यकर्ता प्रशिक्षित होंगे
मतदान का प्रतिशत बढ़ाने की कवायद में यह भी तय किया गया कि शहर में भाजपा के जो 28 मंडल हैं, उनके हर बूथ के पांच-पांच कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। इन पर अपने मतदान केंद्र पर ज्यादा से ज्यादा मतदान की जिम्मेदारी रहेगी। यह कार्यकर्ता अपने साथ उस बूथ के अन्य लोगों को भी जोड़ेंगे और मतदाताओं को जागरूक भी करेंगे। यह प्रशिक्षण सोमवार शाम से शुरू भी हो गया।
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