भोपाल। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav in Madhya Pradesh) की सरकार में कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान (Cabinet Minister Nagar Singh Chauhan) वन महकमा छीने जाने से नाराज हो गए हैं। उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए हैं और मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी भी दे दी है। वह तो यह भी कह गए कि यदि उनकी बात को सुना नहीं गया तो झाबुआ-रतलाम संसदीय सीट से सांसद अनिता नागर सिंह चौहान (Member of Parliament Anita Nagar Singh Chauhan) भी अपने पद से इस्तीफा दे देंगी। भाजपा ने भी डैमेज कंट्रोल की कवायद तेज कर दी है। चौहान को दिल्ली तलब किया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (National President JP Nadda) उनसे मुलाकात करेंगे।
मोहन यादव सरकार में मंत्री बनने के बाद नागर सिंह चौहान के पास तीन विभाग थे। रविवार को रामनिवास रावत को वन एवं पर्यावरण विभाग दे दिए। इससे नागर सिंह चौहान नाराज हो गए। उनके पास इस समय सिर्फ अनुसूचित जाति कल्याण विभाग ही बचा है। कैबिनेट में इसे उनका कद घटने के रूप में देखा जा रहा है। नागर सिंह चौहान की पत्नी अनिता नागर सिंह चौहान झाबुआ-रतलाम सीट से लोकसभा सदस्य हैं। सोमवार से ही संसद में बजट सत्र शुरू हुआ है, जिसमें सभी सांसदों को भाग लेना था। अनिता नागर सिंह चौहान भी दिल्ली जाने वाली थी। हालांकि, रविवार के घटनाक्रम के बाद वह दिल्ली नहीं गई और उन्हें रोक लिया गया।
नागर सिंह चौहान के इस्तीफे की बात को लेकर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की कवायद तेज कर दी है। प्रदेश स्तर के नेताओं ने चौहान से बात की और उनसे मिल-बैठकर समाधान निकालने का भरोसा दिलाया है। हालांकि, शाम को चौहान रतलाम से भोपाल के लिए रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि मुझे सभी लोग बैठकर बात करने को कह रहे हैं। दिल्ली में नड्डा जी से मुलाकात करूंगा और उनके सामने अपनी बात रखूंगा। फ्लाइट से दिल्ली जा रहा हूं।
नागर सिंह चौहान का कहना है कि यदि उनका कोई विभाग छीना जाना था तो उन्हें बताया भी जा सकता था। उनका विभाग छीनकर कांग्रेस से आए हुए नेता को देना गलत है। यह फैसला अचानक हुआ और उनसे वन एवं पर्यावरण विभाग छीन लिए गए। वह पार्टी फोरम पर अपनी बात रखेंगे। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सामने वह अपनी बात रख चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो उनकी पत्नी अनिता नागर सिंह चौहान भी सांसदी छोड़ देंगी।
मीडिया से फोन पर हुई बातचीत में चौहान ने कहा कि “अलीराजपुर को कांग्रेस का अभेद्य गढ़ माना जाता था। वहां हम कांग्रेस से लगातार लड़ रहे हैं। लगातार चुनाव जीतने के बाद मध्य प्रदेश सरकार में अलीराजपुर जिले को पहली बार मंत्री बनने का अवसर मिला था। सात महीने बाद बिना पूछे, बिना चर्चा किए मेरे दो विभाग को कांग्रेस से आए हुए मंत्री रामनिवास रावत को दिए हैं। इससे मैं बहुत दुखी हूं। हम भाजपा के मूल कार्यकर्ता हैं। पूरे मध्य प्रदेश में बरसों बरस से कार्यकर्ता भारतीय जनसंघ के जमाने से संघर्ष करते आए हैं। मेरे जैसे कार्यकर्ता से विभाग छीनकर कांग्रेस से आए हुए नेता को सौंप देने से मैं दुखी हूं। मुझे लगता है कि इस पद पर नहीं रहना चाहिए।”
मंत्री नागर सिंह चौहान के इस्तीफे की पेशकश पर कांग्रेस ने भी भाजपा पर तंज कसा है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा कि नागर के मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश भाजपा के नैसर्गिक नेतृत्व को दरकिनार कर दलबदलुओं को तवज्जो देने का जीवंत उदाहरण है। दलबदलुओं को स्थान देने से भाजपा में कई वर्षों से जमें नेताओं, कार्यकर्ताओं में घुटन और बेचैनी स्पष्ट दिखाई दे रही है और इसको लेकर भाजपा के कई विधायक, वरिष्ठ नेतागण पार्टी नेतृत्व के समाने अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं।
नायक ने कहा कि भाजपा में मची अंतर्कलह से सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। सरकार की छवि धूमिल हो रही है और इससे जनहित में किए जाने वाले कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। भाजपा में मची उथलपुथल, भाजपा की कथनी-करनी और चाल-चरित्र से व्यथित होकर मंत्री चौहान ने इस्तीफे की पेशकश की है। नायक के कहा कि भाजपा अपने सत्ता स्वार्थ के लिए जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
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