इस्लामाबाद। एक तरफ जहां पाकिस्तान (Pakistan) की इमरान खान (Imran Khan) सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की शिकार हो रही तो वहीं अब खुद अपने घर में घिरती नजर आ रही है, क्योंकि इमरान खान (Imran Khan) सरकार को काबू से बाहर होती महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराते पाकिस्तान (Pakistan) के प्रमुख विपक्षी दलों ने हाल ही में प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की गई।
पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब (Marriyum Aurangzeb) ने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लगभग 100 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव को नेशनल असेंबली सचिवालय (National Assembly Secretariat) को सौंपा गया। इस तरह इमरान की कुर्सी पर एक बार फिर से खतरा मंडरा गया है। इसी बीच एक नई खबर आ रही है कि इमरान खान को अपनी कुर्सी गंवाने का डर है और यही वजह है कि उनकी पार्टी सहयोगी पार्टियों को एकजुट करने में जुटी हुई है। इसी बीच पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी नेविपक्ष को एक नया ‘ऑफर’ दिया। उन्होंने एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में कहां कि अगर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव वापस ले तो सरकार यह विचार करेगी कि उन्हें बदले में क्या दिया जा सकता है।
बता दें कि पाकिस्तानी सूचना मंत्री ने इस कार्यक्रम में कहा कि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति और अविश्वास प्रस्ताव से पैदा होने वाली राजनीतिक कड़वाहट को देखते हुए विपक्ष को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अपना प्रस्ताव वापस लेना चाहिए। इसके बाद पीटीआई सरकार देखेगी कि विपक्ष को बदले में क्या दिया जा सकता है। फवाद चौधरी ने कहा कि देश की राजनीति के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि यह बहुत विभाजनकारी है। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष और इमरान सरकार के बीच नीति को लेकर मतभेद के बजाय ‘व्यक्तिगत’ मतभेद हैं। उन्होंने कहा कि दो से तीन सप्ताह में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होने तक राजनीति में इतनी कड़वाहट पैदा हो जाएगी कि इससे पाकिस्तान को नुकसान होगा।
विदित हो कि पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब (Marriyum Aurangzeb) पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लगभग 100 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव को नेशनल असेंबली सचिवालय (National Assembly Secretariat) को सौंपा गया। इस तरह इमरान की कुर्सी पर एक बार फिर से खतरा मंडरा गया है।
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