इंदौर। प्राधिकरण की कई योजनाओं में शामिल जमीनों का डीनोटिफिकेशन आदेश शासन स्तर से जारी होना है, जिसके लिए भूखंड पीडि़तों ने अभी विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात की, जिस पर उन्होंने प्रमुख सचिव से चर्चा कर आदेश जल्द जारी करवाने का आश्वासन भी दिया। योजना 77 और 171 में दो दर्जन से अधिक गृह निर्माण संस्थाओं की कॉलोनियां शामिल हैं, जिसमें हजारों भूखंड पीडि़तों को इस डीनोटिफिकेशन आदेश का इंतजार है, ताकि वे मकान बना सकें। कुछ समय पूर्व चलाए गए ऑपरेशन भूमाफिया के दौरान इन पीडि़तों को भूखंडों के कब्जे तो दिलवा दिए थे मगर वे अपने मकान का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
चर्चित अयोध्यापुरी, पुष्प विहार सहित अन्य कॉलोनियों के पीडि़तों को प्रशासन ने कब्जे दिलाए थे और इन संस्थाओं में चुनाव भी करवा दिए। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार गृह निर्माण संस्था की इन कॉलोनियों में हालांकिअभी कई विसंगतियां हैं और जो जमीनें भूमाफियाओं ने हड़प रखी है उनकी रजिस्ट्रियां निरस्त करवाने से लेकर कई सदस्यों को अभी भूखंड नहीं मिले हैं, उन्हें भी आबंटन होना है। वहीं पूर्व में किए गलत आबंटनों की जांच भी प्रशासन करवा रहा है। अभी पिछले दिनों अयोध्यापुरी के पीडि़तों ने गौरीशंकर लाखोटिया के नेतृत्व में नगरीय प्रशासन विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से भाजपा कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें अवगत कराया कि शासन स्तर पर डीनोटिफिकेशन की प्रक्रिया रूकी हुई है। दरअसल कुछ समय पूर्व प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने इन पीडि़तों से कहा था कि आदेश लगभग तैयार है।
बस मंत्रीजी के साइन का इंतजार है। दरअसल तब तक विभागों का बंटवारा नहीं हुआ था। मगर अब चूंकि यह विभाग श्री विजयवर्गीय के पास है, लिहाजा पीडि़तों ने उनसे इस आदेश को जल्द जारी करवाने का अनुरोध किया, ताकि वे नगर निगम के माध्यम से कॉलोनी को नियमित करवाने की प्रक्रिया शुरू करवा सकें। मंत्री श्री विजयवर्गीय ने इन पीडि़तों की बात सुनकर प्रमुख सचिव से चर्चा कर आदेश के संबंध में आश्वासन दिया। श्री लाखोटिया के मुताबिक प्राधिकरण की योजना 77 में जो 18 कॉलोनियां शामिल हैं उसमें अयोध्यापुरी भी है। इसी तरह योजना 171 में भी एक दर्जन से अधिक गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें है। प्राधिकरण बोर्ड ने यह भी फैसला किया था कियोजनाओं में शामिल पूरी जमीनों को छोडऩे से भूमाफियाओं को फायदा होगा। लिहाजा जिन भूखंड पीडि़तों के पास रजिस्ट्री, विधिवत कब्जे और अन्य दस्तावेज हैं, उन्हें अलग-अलग व्यक्तिगत स्तर पर एनओसी दे दी जाए, बजाय संस्था की पूरी जमीन छोडऩे के। इसके चलते शासन को अब यह अनुमति दी जाना है। अब देखना यह है कि भोपाल से इंदौर डीनोटिफिकेशन का यह आदेश कब तक पहुंचता है।
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