हाईकोर्ट ने पूर्व कलेक्टर (Ex-Collector) के निर्देश पर लगाई रोक, रेवती रेंज की गफलत में तीन साल से बंद पड़ी हंै खदानें
इंदौर। तीन साल से बंद पड़ी खदानों में फिर खनन (Mining) शुरू होगा। हाईकोर्ट (High Court) ने इस बारे में निर्देश दिए हैं, लेकिन करोड़ों का नुकसान झेल रहे खदान मालिकों (Owners) को न केवल बंदी के 3 साल का डीआर भी भरना होगा, बल्कि आवेदन देना होगा, तभी खनन की अनुमति मिल सकेगी।
2019 में लगाई गई पीआईएल के बाद से बंद पड़ी 20 खदानें फिर से शुरू हो सकेंगी। शहर में सांवेर क्षेत्र (Sanwer Area) की 20 खदानों के मालिकों के लिए हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उम्मीद की किरण तो जागी, लेकिन 3 साल के घाटे के बाद लाखों रुपए अनिवार्य भाटक के भरना पड़ रहे हैं।
प्रति हेक्टेयर 1 लाख के मान से हर खदान मालिक को लगभग 8 लाख रुपए भरना होंगे। ज्ञात हो कि पूर्व कलेक्टर लोकेश जाटव के कार्यकाल के दौरान रघुनंदन परमार ने पीआईएल लगाते हुए मांग की थी कि पहाड़ी क्षेत्र की खदानों को बंद कर दिया जाए। रेवती रेंज सहित सभी पहाड़ी खदानों पर तत्कालीन कलेक्टर ने रोक लगा दी थी, जिसके बाद खदान मालिकों ने कोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला दिया था कि रेवती रेंज को छोडक़र बाकी सभी खदानें गफलत के चलते बंद हैं, उन्हें शुरू किया जाए। लेकिन उसके बाद विभाग द्वारा जारी निर्देश के चलते अब तक मामले अटके हुए हैं।
मालिक सालों से घाटे में
3 साल तक खनन की प्रक्रिया बंद रहने के कारण करोड़ों का घाटा झेल रहे खदान मालिकों की हाईकोर्ट ने सुनवाई तो कर दी, लेकिन अब उन पर अनिवार्य भाटक के रूप में लाखों का बोझ आ गया है। विभाग में प्रति हेक्टेयर 1 लाख के मान से लगभग 32 लाख रुपए का डीआर जमा होगा। अब तक गिने-चुने ही आवेदन आए हैं, जो डीआर भरने तैयार हैं और फिर से खनन शुरू करवाना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार खदान मालिक बंद के दौरान के डीआर के लिए फिर कोर्ट की शरण ले सकते हैं।
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