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    सेना में शामिल हुए माइन 600 एंटी-टैंक ‘विभव’, पलक झपकते ही दुश्‍मन नेस्तनाबूत

  • September 19, 2023

    जम्मू (Jammu)। देश में ही निर्मित स्व निष्क्रिय माइन एंटी टैंक ‘विभव’ (Vibhav) को भारतीय सेना (Indian Army) में शामिल कर लिया गया है। सेना (Army) के अधिकारियों के मुताबिक इस टैंक का इस्तेमाल दुश्मन के सभी प्रकार के बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने के साथ आतंकियों द्वारा बिछाए जाने वाले बारूदी सुरंगों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। अभी 600 माइन एंटी टैंक को सेना में शामिल किया गया है।

    भारतीय सेना ने अपने बेड़े में 600 स्वदेशी स्व-निष्क्रिय एंटी-टैंक माइन शामिल किए हैं। इन्हें विभव नाम दिया गया है। यह दुश्मन के किसी भी बख्तरबंद वाहन को तबाह कर सकता है। एंटी-टैंक माइन नए जमाने के प्लास्टिक से बनी है, जो इसे अलग-अलग क्षेत्र की स्थितियों में भंडारण, हैंडलिंग और संचालन की आवश्यकताओं का सामना करने के लिए पर्याप्त ताकत और स्थायित्व प्रदान करती है।

    एक अधिकारी ने बताया कि इसका उत्पादन पूरा हो चुका है। सेना के बेड़े में शामिल किया गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसे तैयार किया है। पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया विभव एक पॉइंट-अटैक एंटी-टैंक गोला-बारूद है। इससे दुश्मन के सभी बख्तरबंद वाहनों को नष्ट किया जा सकता है। इसका डिजाइन ऐसा है कि विभिन्न स्थितियों में संचालन की आवश्यकताओं का सामना करने के लिए पर्याप्त ताकत और स्थायित्व है।



    120 दिनों तक रहता है सक्रिय
    युद्ध सामग्री में एक इलेक्ट्रॉनिक एंटी-हैंडलिंग और एंटी-लिफ्ट डिवाइस (ईएएचएएलडी) भी शामिल है जो एक बार हथियारबंद होने के बाद 120 दिनों तक सक्रिय रहता है। इसके निर्माण में तीन बदलाव किए गए हैं। इसमें अब मैकेनिकल टाइमर हैं। इस कारण 120 दिनों के बाद यह स्व-निष्क्रिय हो जाएगा। यह पहले की खदानों में उपलब्ध नहीं था। भारतीय सेना के लिए कल्याणी ग्रुप द्वारा युद्ध सामग्री का उत्पादन किया जा रहा है। इसकी भंडारण अवधि 10 साल है और इसमें भंडारण की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है।

    वहीं, भारतीय नौसेना स्वदेशी नवाचारों पर अपने सेमिनार के दूसरे संस्करण ‘स्वावलंबन-2023’ का आयोजन 4-5 अक्तूबर को करेगी। इसके पहले संस्करण का आयोजन पिछले साल जुलाई में किया गया था। इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने भी भाग लिया था और ‘स्प्रिंट चैलेंजेस’ पहल की शुरुआत की थी। इसके तहत स्टार्टअप और एमएसएमई के लिए 75 चुनौतियां स्वीकार की गई थीं। इसके तहत नौसेना कम से कम 75 प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

    इसका उद्देश्य ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना है। स्प्रिंट पहल को डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन (डीआईओ) के साथ मिलकर आगे बढ़ाया जा रहा है। इसका उद्देश्य डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स), एनआईआईओ और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एक्सेलेरेशन सेल (टीडीएसी) के लिए इनोवेशन के माध्यम से आर एंड डी में पोल-वॉल्टिंग का समर्थन करना है।

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