अग्निबाण खुलासा… सरकार ने गुपचुप एक्सपायरी डेट भी बढ़ा दी, 18 साल से अधिक उम्र वालों के लिए बूस्टर डोज लगाने की भी दे डाली छूट
इंदौर। हर तरह की खाद्य सामग्रियां, दवाइयां (Medicines), पेय पदार्थों की पैकिंग (Packing) पर उसके निर्माण के साथ-साथ एक्सपायरी डेट (Expiry date) यानी अवसान तिथि भी दर्ज रहती है। स्वास्थ्य के मद्देनजर यह कानूनी (Legal) बाध्यता भी है। देशभर में जो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगाई जा रही है उसकी भी एक्सपायरी डेट (Expiry date) वैसे तो 3 से लेकर 9 महीने तक की रहती है, मगर पिछले दिनों सरकार ने गुपचुप कुछ कम्पनियों के मौजूदा स्टॉक (Stock) की एक्सपायरी डेट (Expiry date) को 12 महीने से लेकर उसके बाद तक के लिए बढ़ा दिया। इसका खुलासा एक महिला पत्रकार के ट्वीट से हुआ, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके बेटे को एक्सपायर हो चुकी कोरोना वैक्सीन लगा दी। इसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) को सफाई देना पड़ी और कहा कि जांच-पड़ताल के बाद ही वैक्सीन (Vaccine) की एक्सपायरी डेट (Expiry date) बढ़ाने की अनुमति दी गई। दरअसल, कम्पनियों के पास करोड़ों वैक्सीन डोज (Vaccine Dose) का स्टॉक जमा हो गया है, जिसके चलते पिछले दिनों 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए बूस्टर डोज लगवाने की अनुमति दी गई। वहीं कम्पनियों ने भी वैक्सीन (Vaccine) की दरों में कमी कर दी।
अग्निबाण ने शुरू से ही वैक्सीनेशन (Vaccination) में सरकार की ओर से होने वाली ढिलाई का खुलासा किया, जिसके चलते पहले तो सरकार ने कई तरह की पाबंदियां वैक्सीनेशन के मामले में लगाई, उसके बाद विदेशी कम्पनियों को अनुमति ना देते हुए कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन लगवाना शुरू की, वहीं दूसरे डोज को लेकर भी समय सीमा बढ़ा दी और यहां तक कि राज्य सरकारों को भी महंगी दरों पर वैक्सीन खरीदवा दी। जब सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर सवाल पूछे तब राज्यों को पूर्व की दरों पर वैक्सीन देना तय किया और उसके बाद फिर अधिकांश आबादी को नि:शुल्क वैक्सीन (Vaccine) लगाई जाने लगी। वहीं निजी अस्पतालों में 1200 से लेकर 1500 रुपए तक की कीमत कम्पनियों से तय करवाई, जबकि अब वही वैक्सीन तीन से चार गुना घटे दामों पर कम्पनियां लगाने को तैयार हो गई हैं। निजी अस्पतालों में 250 से लेकर 400 रुपए के बीच बूस्टर डोज लगाए जा रहे हैं। दरअसल, सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा उत्पादित की जा रही कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटैक की कोवैक्सीन (Covaccine) के अलावा अन्य कम्पनियों की भी वैक्सीन को पिछळे दिनों केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। नतीजतन अब बाजार में कई वैक्सीन (Vaccine) उपलब्ध हो गई। बढ़ों के साथ-साथ 18 साल की उम्र के बच्चों का भी वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया है। वहीं कोरोना की तीसरी लहर चूंकि घातक साबित नहीं हुई और अब चौथी लहर भी भारत में असरदायक नहीं रहेगी ऐसा विशेषज्ञों का मानना है, जिसके चलते अब वैक्सीनेशन को लेकर लोगों का रुझान भी घट गया है और जिन लोगों ने दो डोज लगवा लिए अब वे बूस्टर डोज के लिए तैयार नहीं हैं। खासकर कम उम्र के लोग ये बूस्टर डोज नहीं लगवाना चाहते। यहां तक कि बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार भी धीमी हो गई है। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक महिला पत्रकार नवनीता ने ट्वीट करते हुए उनके बेटे को एक्सपायरी डेट (Expiry date) की वैक्सीन लगाने के आरोप लगाए और साथ में वह पत्र भी संलग्न किया जिसमें कोवैक्सीन (Covaccine) के मौजूदा स्टॉक की एक्सपायरी डेट (Expiry date) 3 से लेकर 9 महीने तक बढ़ा दी गई। जब हल्ला मचा तो केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को स्पष्टीकरण देना पड़ा कि जांच-पड़ताल के बाद ही एक्सपायरी डेट बढ़ाने की अनुमति दी गई और इससे वैक्सीन की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इतना ही नहीं, केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों कोवीशील्ड (Covishield) के दूसरे डोज लगाने की समयावधि भी घटा दी और अब वैक्सीन (Vaccine) की कीमतें भी कम्पनियों ने कम कर दी, क्योंकि करोड़ों वैक्सीन का स्टॉक जमा हो गया।
10 लाख से ज्यादा वैक्सीन तो इंदौर संभाग में ही पड़ी
इंदौर में शुरुआत में तेजी से वैक्सीनेशन (Vaccination) हुआ और 18 साल से अधिक उम्र के लगभग शत-प्रतिशत लोगों को दोनों डोज लगवा दिए गए। वहीं 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को बूस्टर डोज भी लगे और 12 से 18 साल के बच्चों का भी वैक्सीनेशन चल रहा है। मगर 10 लाख से ज्यादा वैक्सीन (Vaccine) के डोज इंदौर संभाग में स्वास्थ्य विभाग के स्टोर रूम में ही पड़े हैं, जिनमें सर्वाधिक कोविशील्ड (Covishield) के साढ़े 5 लाख से ज्यादा डोज हैं, तो कोवैक्सीन (Covaccine) के 2 लाख से अधिक और अभी बच्चों को जो कोर्बेवैक्स वैक्सीन (Vaccine) लगाई जा रही है उसके भी 1 लाख से ज्यादा डोज हैं। वहीं निजी अस्पतालों के पास भी बड़ी संख्या में वैक्सीन (Vaccine) के डोज पड़े हैं, क्योंकि नि:शुल्क लगाए जाने के चलते अधिकांश लोगों ने निजी अस्पतालों की महंगी वैक्सीन (Vaccine) नहीं लगवाई, जिसके चलते निजी अस्पतालों को भी घाटा उठाना पड़ा और अब निजी अस्पतालों में घटी दरों पर वैक्सीन लग रही है।
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