नई दिल्ली: पैकेटबंद डेयरी उत्पादों पर जीएसटी काउंसिल (GST Council) के पांच फीसदी जीएसटी (GST) लगाने का असर पूरे देश में देखा जा रहा है. इससे दूध और दूध से बने उत्पाद देश में कई जगह महंगे हो गए हैं. पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी के लिए अब दही-लस्सी जैसी खाने-पीने की चीजों के और महंगा होने से काफी मुश्किल हो गई है. कर्नाटक में भी सोमवार को कर्नाटक दुग्ध संघ (Karnataka Milk Federation) ने अपने कई प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ाने की घोषणा की थी.
लेकिन, दुग्ध महासंघ को अगले ही दिन अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं. आम जनता और विपक्षी दलों के भारी विरोध को देखते हुए महासंघ ने सोमवार को बढ़ाए गए दामों में कुछ कटौती करने का ऐलान किया है. कर्नाटक दुग्ध संघ नंदिनी नाम से दूध, दही, लस्सी सहित कई सारे उत्पाद बेचता है. महासंघ ने दूध से बनी कई चीजों के दामों में 2 से 3 रुपये लीटर तक की बढ़ोतरी कर दी थी.
अब ये होगी कीमत
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक दुग्ध महासंघ ने एक बयान में कहा है कि जनता के हित को ध्यान में रखते हुए महासंघ ने अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों में कटौती करने का फैसला लिया है. नंदिनी लस्सी, दही और बटरमिल्क की नई कीमतें 19 जुलाई से प्रभावी होंगी. 200 ग्राम दही की कीमत अब 10.50 रुपये होगी. पहले इसे 10 रुपये से बढ़ाकर 12 रुपये कर दिया गया था. इसी तरह 500 ग्राम दही के पैकेट की कीमत अब 23 रुपये होगी.
बेंगलुरू के अंजनापुरा की रहने वाली सुशीला राय ने कहा कि महंगाई की वजह से पहले ही घर चलाना मुश्किल हो गया है. अब दही-लस्सी जैसी जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से और मुश्किल हो जाएगी. सुशीला ने कहा कि सरकार को आम आदमी को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने चाहिए. सुशीला ने कहा कि बारिश के दिनों में फल और सब्जियों के दाम कम हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है.
विपक्ष और जनता ने किया भारी विरोध
कर्नाटक दुग्ध महासंघ के डेयरी प्रोडक्ट्स की कीमतों में इजाफा करने पर पूरे राज्य में तीव्र प्रतिक्रिया हुई. आम जनता के साथ ही विपक्षी पार्टियों ने भी इस फैसले को जनविरोधी बताया. विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जनविरोधी फैसला किया है. उन्होंने कहा कि शुरू से ही दुग्ध उत्पादक जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. अब इन पर जीएसटी लगाने की क्या जरूरत पड़ी.
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