कोनाक्री। दुनियाभर में कई देश अपने निजी संकटों से जूझ रहे हैं। हाल ही में अफगानिस्तान(Afghanistan) में अशरफ गनी (Ashraf Ghani) को देश से भगाकर तालिबान(Taliban) ने यहां कब्जा कर लिया और नई सरकार के गठन की तैयारी कर रहा है। वहीं कई मीडिया के रिपोर्ट्स के मुतबिक अफ्रीकी देश गिनी में तख्तापलट (Military Coup Guinea) की खबर सामने आई है। वहां के राष्ट्रपति अल्फा कोंडे (President Alpha Conde) का कुछ अता-पता नहीं हैं।
गिनी की राजधानी कोनाक्री में राष्ट्रपति भवन के पास सैनिकों द्वारा भारी गोलीबारी की खबर सामने आई है। यहां सेना के विद्रोही गुट ने सरकार को हटाकर तख्तापलट (Military Coup Guinea) की साजिश की है यहां की सरकार भंग (state institutions dissolved) कर दी गई है। साथ ही देश की सीमाओं को भी सील कर दिया गया है।
कोनाक्री शहर में एक पश्चिमी राजनयिक ने इस घटना को तख्तापलट का प्रयास बताया। रविवार सुबह गिनी की राजधानी कोनाक्री में गोलियों की आवाज सुनी गई और सैनिकों को सड़कों पर देखा गया।
गिनी में चल रहे हालिया हालातों पर एक सीनियर पत्रकार जॉयस करम ने अपने ट्वीट कर कहा कि कथित तौर पर गिनी में सैन्य तख्तापलट चल रहा है। राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया, संविधान को रोका गया, राज्य संस्थानों को भंग किया गया, सार्वजनिक प्रसारण को रोक दिया गया है। साथ ही ट्विटर पर उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया है। विद्रोही सैनिकों ने अपने कब्जे की घोषणा के बाद देश में लोकतंत्र बहाली का संकल्प व्यक्त किया और खुद को ‘द नेशनल कमेटी ऑफ गैदरिंग एंड डवेलपमेंट’ नाम दिया। रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि हमले को विफल कर दिया गया है, लेकिन जब सरकारी टेलीविजन या रेडियो पर कोंडे की तरफ से कोई संदेश नहीं आया तो अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई। बाद में बताया गया कि कोंडे को हिरासत में ले लिया गया है। कोंडे के तीसरे कार्यकाल को लेकर पिछले कुछ समय से आलोचना हो रही थी। वहीं, कोंडे का कहना था कि उनके मामले में संवैधानिक अवधि की सीमाएं लागू नहीं होतीं। अंततः उन्हें फिर से चुन लिया गया, लेकिन इस कदम ने सड़क पर हिंसक प्रदर्शन भड़का दिए थे। कोंडे वर्ष 2010 में सबसे पहले राष्ट्रपति चुने गए थे जो 1958 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद देश में पहला लोकतांत्रिक चुनाव था। कई लोगों ने उनके राष्ट्रपति बनने को देश के लिए एक नयी शुरुआत के तौर पर देखा था लेकिन उनके शासन पर भ्रष्टाचार, निरंकुशता के आरोप लगे।