नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में पिछले नौ महीनों से हिंदुस्तान (Indian) और चाइना (China) की सेनाओं के बीच चल रहे तनाव को कम करने के लिए एक बार फिर दोनों राष्ट्रों के बीच होने जा रही है। दोनों राष्ट्रों के बीच यह नौवें दौर की मीटिंग है। सूत्रों के मुताबिक मीटिंग को लेकर रूपरेखा तैयार करने का कार्य जारी है। सूत्रों के अनुसार हिंदुस्तान की ओर से इस बार की बातचीत में कुछ परिवर्तन किया जा सकता है। पिछली कुछ बैठकों की तरह इस बार भी विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि इस मीटिंग का भाग होंगे।
दोनों राष्ट्रों के बीच चुशूल सेक्टर के सामने चाइना की तरफ मोल्डो में ये मीटिंग होगी। दोनों पक्षों के बीच अंतिम सैन्य मीटिंग छह नवंबर को हुई थी। नॉर्दन आर्मी कमांडर के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा का बोलना है कि हिंदुस्तान और चाइना के सेनाओं के बीच वार्ता से नतीजा निकलने की आशा कम है। इस टकराव को राजनियक स्तर पर ही दोनों देश सुलझा सकते हैं।
करीब साढ़े तीन महीने पहले भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में पेगोंग झील के दक्षिण किनारे पर रणनीतिक रूप से अहम मुखपरी, रेचिन ला और मगर हिल इलाके के कई ऊंचाई वाले स्थानों पर काबिज हो गए थे। इंडियन आर्मी ने ये कार्रवाई 29-30 अगस्त की दरमियानी रात को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा उन्हें धमकाने की प्रयास करने के बाद की। हिंदुस्तान ने साफ-साफ बोला है कि चाइना के सैनिक इस वर्ष अप्रैल से पहले जहां थे वो वहां चले जाएं। जबकि चाइना भारतीय सैनिक को पीछे हटने को कह रहा है।
सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने कुछ दिन पहले ही पूर्वी लद्दाख में ऊंचाई पर स्थित विभिन्न अग्रिम चौकियों का दौरा किया था और चाइना के साथ जारी गतिरोध के मद्देनजर हिंदुस्तान की सैन्य तैयारियों की समीक्षा की थी। सेना ने बताया कि जनरल नरवणे ने रेचिन ला सहित अग्रिम चौकियों का दौरा किया था और लद्दाख से लगती असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दशा का आंकलन किया था। ऑफिसरों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के भिन्न-भिन्न ठिकानों जहां पर तापमान शून्य डिग्री से भी नीचे है, करीब 50 हजार जवानों को लड़ाई की स्थिति के लिए तैयार हालत में तैनात किया गया है।
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