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    पुरुषों की तुलना में तीन गुना ज्‍यादा होता है माइग्रेन, जानें कैसे करें बचाव?

  • June 01, 2022

    नई दिल्ली। माइग्रेन(migraine) स्वास्थ्य (Health) की एक सामान्य समस्या है जिससे विश्व का हर सातवां व्यक्ति पीड़ित है. माइग्रेन पुरुषों की तुलना में महिलाओं (women) में तीन गुना अधिक होता है. माइग्रेन होने पर व्यक्ति को सिर के एक हिस्से में तेज अथवा मध्यम सिरदर्द (moderate headache) का अनुभव होता है. ये सिरदर्द 4-72 घंटे तक बना रह सकता है. इस दौरान व्यक्ति को मतली आना, उल्टी, चक्कर आना, रोशनी और तेज आवाज बर्दाश्त न होना जैसी समस्याएं होती हैं.

    हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, ‘माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी (neurological disease) है. जिन लोगों को माइग्रेन की दिक्कत होती है, महीने में उन्हें कई बार माइग्रेन वाला दर्द हो सकता है. माइग्रेन के कुछ पुराने मामले ऐसे भी होते हैं जिसमें व्यक्ति को महीने के 15 दिनों से अधिक समय तक सिरदर्द बना रह सकता है.’

    किन चीजों से ट्रिगर हो सकता है माइग्रेन?
    पनीर, शराब, चॉकलेट, नट्स, प्रोसेस्ड फूड्स, खास प्रकार के गंध, तेज रोशनी, नींद की गड़बड़ी, पीरियड्स, मेनोपॉज, यात्रा करना, मौसम में बदलाव और तनाव(stress), ये सभी माइग्रेन के दर्द को ट्रिगर कर सकते हैं.



    माइग्रेन के चार चरण
    माइग्रेन चार चरणों का होता है. पहला चरण जिसे Prodrome Phase कहा जाता है, सिरदर्द शुरू होने के कुछ घंटे पहले शुरू होता है. इस दौरान व्यक्ति चिड़चिड़ा और उदास हो जाएगा. वो बार बार जम्हाई लेगा और खाने-पीने की उसकी इच्छा बढ़ेगी.

    दूसरा चरण Aura Phase होता है जिसमें व्यक्ति को अपनी आंखों के सामने प्रकाश की आड़ी-तिरछी रेखाएं दिखती हैं. इसे आंखें चौंधियाना कहा जाता है. इस दौरान व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसका शरीर सुन्न पड़ गया है और उसमें झुनझुनी हो रही है.

    तीसरा चरण सिरदर्द का चरण है जो 4-72 घंटे तक चलता है और चौथा चरण माइग्रेन हैंगआउट फेज है जिसमें व्यक्ति आमतौर पर अस्वस्थ, चिड़चिड़ा और भ्रमित महसूस करता है.

    डॉक्टर्स के मुताबिक, ‘महिलाओं में पीरियड्स के दौरान माइग्रेन हो सकता है क्योंकि इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन में गिरावट आती है. दो तिहाई मामलों में, मेनोपॉज के बाद माइग्रेन कम हो जाता है. लेकिन कुछ रोगियों में, यह मेनोपॉज के बाद शुरू भी हो सकता है.’

    बच्चों को भी होता है माइग्रेन
    माइग्रेन की समस्या कम उम्र के बच्चों में भी हो सकती है. बच्चों में माइग्रेन सिरदर्द के साथ नहीं होता बल्कि या तो उन्हें उल्टी होती है या उनका पेटदर्द होता है. ज्यादा छोटे बच्चों में पेट का दर्द माइग्रेन का सबसे पहला लक्षण हो सकता है. अगर माता-पिता में से कोई एक माइग्रेन से पीड़ित रहा है तो उनके बच्चे में ये समस्या होने की संभावना 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. वहीं अगर माता-पिता दोनों को माइग्रेन की समस्या है तो बच्चे में माइग्रेन का खतरा 75 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.’

    कैसे करें बचाव?
    डॉक्टर्स का कहना है कि माइग्रेन कोई खतरनाक समस्या नहीं है बल्कि कुछ उपायों के द्वारा इसे रोका जा सकता है. इसमें धूम्रपान छोड़ना, शराब से परहेज करना, अत्यधिक कैफीन को कम करना और माइग्रेन से पीड़ित महिलाओं का गर्भनिरोधक गोलियों से परहेज करना शामिल है.

    उनका कहना है कि माइग्रेन को बिना दवाओं के भी रोका जा सकता है. गहरी सांस लेना और योग करना इसमें शामिल है. शरीर को पर्याप्त आराम देकर भी माइग्रेन को रोका जा सकता है.

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