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    मध्य-पूर्व का संकट भारतीय शेयर बाजार को पहुंचा सकता नुकसान: अर्थशास्त्री

  • March 27, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुआ। अर्थशास्त्री (Economists) और बाजार के विशेषज्ञों (market experts) के अनुसार, दलाल स्ट्रीट सहित वैश्विक बाजार पहले से ही अमेरिका में बैंक संकट की चपेट में हैं। आर्थिक मंदी की चिंता (worry about economic downturn) बढ़ रही है। मध्य पूर्व में नया भू-राजनीतिक तनाव सोमवार को भारतीय शेयर बाजार के खुलने के बाद उसे नुकसान पहुंचा सकता है।

    विशेषज्ञों के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार हो या कोई अन्य वैश्विक बाजार नई टेंशन बर्दाश्त नहीं कर सकता। क्योंकि, आगामी सत्रों में उन्हें पहले से ही काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने लघु अवधि के निवेशकों को सलाह दी कि यदि मध्य पूर्व तनाव और बढ़ता है तो वे गुणवत्तापूर्ण कृषि और उर्वरक शेयरों में निवेश करें। हालांकि, लंबी अवधि के लिए विशेषज्ञों ने आईटी में निवेश की सलाह दी है।


    प्रमुख अर्थशास्त्री सुधांसु ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में बताया कि सीरिया में अमेरिकी हवाई हमले की खबर बहुत बुरे समय में आई है। इस भू-राजनीतिक तनाव की वजह से दलाल स्ट्रीट पर शुक्रवार को बिक वाली देखने को मिली थी। दलाल स्ट्रीट सहित वैश्विक बाजार पहले से ही अमेरिका में बैंकिंग संकट और आर्थिक मंदी के दबाव में हैं। इसलिए यदि यह मध्य पूर्व तनाव और बढ़ जाता है, तो निफ्टी अक्टूबर, 2022 के लगभग 16,800 के निचले स्तर को बनाए रखने में सक्षम नहीं हो सकता है, जो वर्तमान में 16,945 के स्तर पर है।

    उन्होंने बाजार के निवेशकों को सोमवार को बाजार खुलने पर कच्चे तेल की कीमतों पर नजर रखने की सलाह दी। क्योंकि, कच्चे तेल की कीमतों में कोई भी तेजी बाजारों में ताजा बिकवाली का संकेतक होगी। सीरिया में अमेरिकी हवाई हमले के संभावित प्रभाव से सुरक्षित रहने के लिए सोमवार को स्टॉक खरीदने के बारे में सुधांसु ने बताया कि अगर कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को उछाल आता है, तो तेल उत्पादक कंपनियां, कार्बन ब्लैक और स्नेहक निर्माता कंपनियां सीधे तनाव में आ जाएंगी और उनके शेयरों में सोमवार को कमजोर कारोबार होने की उम्मीद है लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का मतलब मुद्रास्फीति में भी वृद्धि है। इसलिए इसका अन्य खंडों पर भी अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। आईटी और उर्वरक क्षेत्र के इससे अछूते रहने की उम्मीद है। (एजेंसी, हि.स.)

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