मुंबई। महज तीन महीने पहले फ्रांस के प्रधानमंत्री बने मिशेल बार्नियर (Michel Barnier becomes Prime Minister of France) की सरकार बुधवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद गिर गई. साल 1962 के बाद यह पहला मौका है जब फ्रांस में इस तरह से किसी सरकार को संसद भवन में तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर बाहर का रास्ता दिखाया हो.
फ्रांस यूरोपीय यूनियन में दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में जाना जाता है. ऐसे में फ्रांस के इस घटनाक्रम ने दुनिया भर का ध्यान अपनी और खींचा है. फ्रांस के दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने मौजूदा सरकार को बाहर का रास्ता दिखाया. फ्रांस की संसद में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 331 सांसदों ने वोट डाला. वहीं, सरकार को गिराने के लिए महज 288 वोट की जरूरत थी.
उधर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने जोर देकर कहा कि वह 2027 तक अपना बाकी बचा कार्यकाल पूरा करेंगे. हालांकि यह भी एक सच है कि जुलाई के चुनावों के बाद संसद में भारी मतभेद को देखते हुए उन्हें दूसरी बार नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा. राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से यह जानकारी दी गई कि मैक्रॉन गुरुवार शाम को देश को संबोधित करेंगे. माना जा रहा है कि बार्नियर तबतक औपचारिक तौर पर इस्तीफा दे देंगे. बार्नियर आधुनिक दौर में फ्रांस के सबसे कम समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं.
फ्रांस की राजनीतिक स्थिति
फ्रांस की संसद के निचले सदन, नेशनल असेंबली में बहुत ज्यादा मतभेद हैं, जिसमें किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं है. इसमें तीन प्रमुख ब्लॉक शामिल हैं. पहला मैक्रोन के सहयोगी, दूसरा- वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट और तीसरा- फार-राइट नेशनल रैली. दोनों विपक्षी ब्लॉक, जो आमतौर पर एक-दूसरे से असहमत होते हैं, बार्नियर के खिलाफ एकजुट हो गए. वोट के बाद TF1 टेलीविज़न पर बोलते हुए, नेशनल रैली की नेता मरीन ले पेन ने कहा कि “हमारे पास एक विकल्प था, और हमारा विकल्प फ्रांस को जहरीले बजट से बचाना है.”
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