नई दिल्ली (New Dehli)। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान (Former England captain)माइकल वॉन ने DRS विवाद (DRS controversy)को खत्म करने का अजीबो-गरीब तरीका(strange way) बताया है। उनका कहना है कि जिस रूम से डीआरएस के फैसले लिए जाते हैं वहां पर कैमरा और माइक्रोफोन चिपका दिए जाएं ताकि जब फैसला हो रहा हो तो सबको पता चल सके कि उस रूम में क्या हो रहा है। वॉन ने यह बात भारत और इंग्लैंड के बीच जारी टेस्ट सीरीज में हो रही DRS कॉन्ट्रोवर्सी के बीच कही। इस टेस्ट सीरीज में कई फैसले अंपायर्स कॉल पर रहे हैं जो भारत और इंग्लैंड दोनों ही टीमों के लिए काल बना है। इसके अलावा कई फैसले ऐसे थे जिसे देखने के बाद इंग्लैंड के पूर्व कप्तान खुश नहीं थे।
राजकोट टेस्ट में जैक क्रॉली के विकेट पर विवाद हुआ था, वहीं रांची में जारी चौथे टेस्ट में जो रूट के डिसमिसल पर इंग्लैंड का रोना जारी है। इंग्लैंड की दूसरी पारी में जो रूट का शिकार आर अश्विन ने किया। राउंड द विकेट गेंदबाजी करते हुए अश्विन ने रूट को अपने जाल में फंसाया था और उन्हें LBW आउट किया। मैदान पर मौजूद अंपायर ने तो रूट को आउट नहीं दिया, मगर भारत ने उनके फैसले को चैलेंज देते हुए DRS का इस्तेमाल किया।
थर्ड अंपायर ने पाया कि गेंद कि पिच, इंपैक्ट और विकेट तीनों पर रेड हैं तो उन्होंने रूट को आउट करार दिया। हालांकि इंग्लिश क्रिकेट पंडित और फैंस ने बॉल ट्रैकिंग पर सवाल उठाए कि जब गेंद पिच हो रही थी तो वह लाइन के बाहर थी। रूट ने भी उस समय सवाल नहीं उठाए, मगर वह ड्रेसिंग रूम में पहुंचने के बाद जरूर इसे रिचैक कर रहे थे। वॉन ने एक्स पर इस फैसले को हैरान कर देने वाला बताया था हालांकि कुछ देर बाद ही उन्होंने अपना यह पोस्ट डिलीट कर दिया।
माइकल वॉन ने अब टेलिग्राफ के अपने कॉलम में लिखा, “सोशल मीडिया पर केवल एक नजर डालने से पता चलता है कि बहुत से लोग इस पर भरोसा नहीं करते हैं। कुछ टीमों के पक्ष या विपक्ष में लिए जाने वाले निर्णयों को लेकर बहुत गुस्सा और संदेह है। मेजबान प्रसारकों और ट्रक (रूम) में कौन है, इसके बारे में संदेह है ऐसा इसके बावजूद है कि टेकनोलॉजी बनाने वाली कंपनियां वास्तव में मेजबान प्रसारक के समान देश से नहीं हैं। उदाहरण के लिए, हॉक-आई यूके की एक कंपनी है लेकिन इस सीरीज में इसका उपयोग किया जा रहा है। उन्हें सिर्फ मेजबान प्रसारक द्वारा लाया गया है।”
वॉन का सुझाव कुछ-कुछ वैसा ही है जैसा फीफा फुटबॉल में करता है। हालांकि, फुटबॉल जगत में VAR (वीडियो असिस्टेंट रेफरी) के आने के बाद से विवाद कम नहीं हुए हैं।
उन्होंने आगे लिखा, “तो यहां पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए एक सरल समाधान है। ट्रक (रूम) में एक कैमरा और माइक्रोफोन चिपका दें ताकि जब कोई निर्णय लिया जा रहा हो, तो हम सभी जान पाएं कि वास्तव में क्या हो रहा है और इसमें कितने लोग शामिल हैं। और यदि आप वहां कोई आईसीसी का अधिकारी तो और ईमानदारी देखने को मिलेगी। कई बार हम इस खेल के बारे में बहुत बात करते हैं जो बरकरार रहना चाहिए। आप तर्क दे सकते हैं कि ट्रक में टेकनोलॉजी चलाने वाले दो मैदानी अंपायरों जितने ही महत्वपूर्ण हैं।
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