नई दिल्ली. मेक्सिको (Mexico) दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया है, जहां जजों (judges) को अब आम जनता (people) की वोटिंग (voting) के जरिए चुना जाएगा. इससे जुड़े प्रस्ताव (bill) को लोगों के भारी विरोध के बीच संसद में पारित किया गया. ऐसे में अब वहां लोग वोट डालकर सभी स्तरों पर जजों का चुनाव कर सकेंगे. लेकिन सरकार का यह फैसला अब खुद उनके लिए ही गले की फांस बन चुका है.
मेक्सिको की सत्तारूढ़ मोरेना पार्टी की ओर से संसद में पेश किए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में 86 जबकि विरोध में 41 वोट पड़े, जिसके बाद इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया. इस प्रस्ताव के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें एक बड़ी संख्या लॉ स्टूडेंट्स से लेकर कोर्ट कर्मचारियों की है.
क्या है यह विधेयक?
मेक्सिको की सीनेट से पारित इस विधेयक के तहत सुप्रीम कोर्ट से लेकर स्थानीय स्तर पर सभी अदालतों के जजों जनता की वोटिंग से चुने जाएंगे. इस विधेयक को पारित कराने में राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर की बड़ी भूमिका रही. वह अपने कार्यकाल के दौरान इसे पारित कराना चाहते थे. क्योंकि उनका मानना है कि देश की मौजूदा न्यायिक प्रणाली एक खास एलिट वर्ग के हितों को साधने वाली है.
लोपेज का राष्ट्रपति कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म होने जा रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि उन्होंने आनन-फानन में अपने कार्यकाल में ही इस विधेयक को संसद से पारित कराने का फैसला कर लिया था.
इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब सत्तारूढ़ सरकार संविधान में संशोधन करने जा रही है, जिससे न्यायपालिका के चुनाव का रास्ता साफ हो जाएगा. अब देश के 6500 से अधिक जजों और मजिस्ट्रेटों को जनता के सीधे वोटों से चुना जाएगा. साथ ही जज या मजिस्ट्रेट बनने के लिए अनिवार्य 10 साल के अनुभवों को भी कम कर पांच कर दिया जाएगा. यही वजह है कि लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं.
प्रस्ताव के विरोध में जब संसद में घुसी भीड़
सीनेट में इस प्रस्ताव को पेश किए जाने से एक दिन पहले प्रदर्शनकारी भीड़ संसद में घुस आई थी. हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी मंगलवार को मेक्सिको की संसद में घुस आए और इसे पारित होने से रोकने की कोशिश की. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने संसद इमारत में तोड़फोड़ भी की, जिससे घबराकर सांसदों ने पास की एक इमारत में शरण ली. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘न्यायपालिका का पतन नहीं होगा’ के नारे लगाए. इस दौरान विपक्षी पार्टी के नेता और न्यायिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए. बाद में भारी पुलिस सुरक्षा के बीच संसद की कार्यवाही शुरू की गई.
लेकिन बुधवार को सत्तारूढ़ मोरेना पार्टी ने इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत जुटा लिया. मेक्सिको की नवनिर्वाचित क्लॉडिया सेनबॉम एक अक्तूबर को राष्ट्रपति का कार्यभार संभालेंगी. मोरेना पार्टी के इस प्लान को क्लॉडिया का पूरा समर्थन है. इतना ही नहीं मेक्सिको की विपक्षी पार्टी के नेता मिगुएल एंजेल यूनस ने भी इस कदम का समर्थन करने का ऐलान किया है, जिसके बाद विपक्षी पार्टी ने अपने ही नेता को देशद्रोही करार दे दिया है.
राष्ट्रपति ओब्रेडोर ने क्यों की इस विधेयक की पैरवी?
राष्ट्रपति ओब्रेडोर के कार्यकाल के दौरान कई मौकों पर उनका सुप्रीम कोर्ट के साथ टकराव हुआ. उनके छह साल के कार्यकाल के दौरान कोर्ट ने ऊर्जा और सुरक्षा क्षेत्र में उनके द्वारा प्रस्तावित कुछ बदलावों को अवरुद्ध कर दिया था.
मेक्सिको की सीनेट से पारित इस प्रस्ताव पर अमेरिका ने भी चिंता जताई है और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है. अमेरिका का कहना है कि इस फैसले से देश में न्यायपालिका का ढांचा ध्वस्त हो जाएगा. भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और न्याय खत्म हो जाएगा.
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