इंदौर (Indore)। मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए जहां एक तरफ एलिवेटेड कॉरिडोर पर ट्रायल रन के लिए पटरियों को बिछाने का काम चल रहा है, तो दूसरी तरफ बिजली कम्पनी ने सब स्टेशनों के साथ मेट्रो को दी जाने वाली बिजली सप्लाय पर भी काम शुरू कर दिया है। 132 किलोवॉट की लाइन से तीन रिसीविंग सब स्टेशनों को बिजली मिलेगी, जो उसे 33 किलोवॉट ऐसी वॉल्ट में तब्दील कर उसमें से 750 वॉल्ट विद्युत डीसी के जरिए मेट्रो को आपूर्ति होगी। मेट्रो रेल कार्पोरेशन द्वारा सब स्टेशनों का काम शुरू करवा दिया है। वहीं सोलर पैनल लगाकर भी बिजली उत्पन्न की जाएगी, जिससे स्टेशन, मेट्रो कार्यालय, पार्किंग में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके अलावा बिजली बचत के भी अत्याधुनिक तरीके इस्तेमाल होंगे, जिसमें मुख्य रूप से रीजनरेटिंग ब्रेकिंग सिस्टम शामिल है, जिसके माध्यम से बिजली की बचत होगी।
अभी गांधी नगर, सुपर कॉरिडोर से लेकर भौंरासला और उसके आगे एमआर-10 से रोबोट चौराहा तक साढ़े 17 किलोमीटर के एलिवेटेड कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है। इसमें से साढ़े 5 किलोमीटर का प्रायोरिटी कॉरिडोर पहले तैयार किया जा रहा है, जहां पर अगले महीने मेट्रो का ट्रायल रन होना है, जिसके चलते इससे जुड़े स्टेशनों के निर्माण कार्य में गति आई है और जल्द ही ये स्टेशन भी तैयार हो जाएंगे और बड़ोदा से तीन कोच की एक ट्रेन भी इंदौर ट्रायल रन के लिए पहुंचेगी। 75 एकड़ का जो सुपर कॉरिडोर पर जो डिपो बना है वहां पर प्रशासनिक भवन के अलावा ट्रायल रन के लिए पटरियां बिछाई जा चुकी है और अब अगले कुछ दिनों में प्रायोरिटी कॉरिडोर पर भी पटरियों को बिछाने का काम पूरा हो जाएगा। दूसरी तरफ बिजली नेटवर्क भी तैयार किया जा रहा है, क्योंकि ट्रायल रन के लिए भी बिजली लगेगी। फ्रांस और जर्मनी से स्विज गीयर मंगवाए गए हैं और ब्रेकिंग सिस्टम से बिजली की बचत की जाएगी। बिजली कम्पनी के जरिए मेट्रो संचालन के लिए अलग से ही पूरा नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। गांधी नगर, एमआर-10, खजराना चौराहा पर तीन रिसीविंग सब स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिसमें 132 किलोवॉट की लाइन से इन सब स्टेशनों तक बिजली पहुंचाई जाएगी और फिर उसे एसी और वॉल्ट में तब्दील कर मेट्रो को आपूर्ति होगी।
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