इन्दौर। कमर्शियल रन के पहले इंदौर के मेट्रो प्रोजेक्ट में एक बड़ा बदलाव होता नजर आ रहा है। इंदौर के जनप्रतिनिधियों और मेट्रो के हित धारकों की राय के बाद यह लगभग तय सा लग रहा है कि बंगाली चौराहे से ही मेट्रो का ट्रैक अंडरग्राउंड हो जाएगा और एमजी रोड बड़ी तोडफ़ोड़ से बच जाएगा। इस बारे में अधिकृत फैसला विस्तृत अध्ययन के बाद राज्य शासन द्वारा आगे बढ़ाए जाने वाले प्रस्ताव पर होगा और इसमें कई केंद्रीय एजेंसियों की भी सहमति लेना होगी।
शनिवार को भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इंदौर और भोपाल के मेट्रो प्रोजेक्ट के कामकाज की समीक्षा की थी। इस बैठक में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मुख्यमंत्री सचिवालय के अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा और नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई सहित कई अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में विजयवर्गीय ने इंदौर के मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़े कई तथ्य मुख्यमंत्री के सामने रखें और पिछले दिनों हुई बैठक में उठे मुद्दों से भी उन्हें अवगत करवाया। मुख्यमंत्री ने पूरी बात समझने के बाद कहा कि मेट्रो का काम जारी रहना चाहिए और जो सुझाव जनप्रतिनिधियों और इंदौर शहर के प्रतिनिधि संगठनों की ओर से प्राप्त हुए हैं, उन्हें भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने जो सुझाव दिए हैं, उन पर गंभीरता से विचार होना चाहिए।
मेट्रो से जुड़े तमाम मुद्दों पर लंबी चर्चा के बाद सभी के बीच इस बात पर सहमति बनती नजर आई कि एमजी रोड से मेट्रो को अंडरग्राउंड ले जाने की बजाय बंगाली चौराहे से ही अंडरग्राउंड कर दिया जाए। इससे पलासिया से हाई कोर्ट के बीच एमजी रोड का बड़ा हिस्सा तोडफ़ोड़ से बचेगा, यातायात भी प्रभावित नहीं होगा और कई बड़े निर्माण टूटने से बच जाएंगे। बंगाली चौराहे से मेट्रो को अंडरग्राउंड करने की स्थिति में 500 से 800 करोड रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इंदौर की जनता की सुविधा हमारी पहली प्राथमिकता है और उसके लिए यदि हमें 500 करोड़ रुपए ज्यादा भी खर्च करना पड़े तो कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने बैठक में मौजूद अफसर से कहा कि वे इस प्रस्ताव का अध्ययन करें, मेट्रो के अफसरों की भी राय लें, तकनीकी परीक्षण करवाएं, केंद्रीय एजेंसियों तथा वित्तीय संस्थानों से तालमेल स्थापित कर बात करें, ताकि अंतिम निर्णय लेने में आसानी रहे। मेट्रो को एग्रीकल्चर कॉलेज के रास्ते शहर के भीतर लाने की बात अव्यावहारिक भी मानी गई और इससे प्रोजेक्ट की लागत बहुत ज्यादा बढऩे की आशंका भी जताई गई। मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री दोनों की नाराजगी की इस बात को लेकर भी रही कि इंदौर और भोपाल दोनों जगह मेट्रो के कार्य में काफी विलंब हो गया है। अब ऐसा ना हो, इसका ध्यान रखें और आगे का काम समयसीमा तय कर इस आधार पर पूरा किया जाए।
मेट्रो के प्रायरिटी कॉरिडोर के काम में तेजी लाई जाएगी, समयसीमा तय होगी और इसका सख्ती से पालन होगा। जनप्रतिनिधियों और शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने जो सुझाव दिए हैं, उसके मुताबिक आगे बढ़ाने की बात मुख्यमंत्रीजी ने भी कही है। हम एमजी रोड से मेट्रो को अंडरग्राउंड ले जाने के बजाय जो दूसरे सुझाव मिले हैं, उनसे ज्यादा सहमत हैं। इन्हीं में से एक बंगाली चौराहे से ही मेट्रो को अंडरग्राउंड ले जाने का भी है इसका तेजी से परीक्षण हो रहा है।
-कैलाश विजयवर्गीय
मंत्री,नगरीय प्रशासन
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