उज्जैन। आगर रोड सहित एमआर-5 मार्ग की कॉलोनियों में पिछले दो महीनों से बिजली विभाग से मीटर रीडर रीडिंग लेने नहीं आ रहे हैं। इस वजह से लोगों को औसत या एवरेज बिल थमाए जा रहे हैं। दो-दो माह बाद रीडिंग होने से उपभोक्ताओं को 150 यूनिट बिजली खपत का मिलने वाली शासन की सब्सिडी भी नहीं मिल पा रही है। विद्युत वितरण कंपनी एक ओर पूरे शहर में 1 लाख 27 हजार से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं के यहाँ स्मार्ट मीटर लगाने का काम कर रही है। यह काम भी अभी बेहद धीमा है। सवा लाख से अधिक उपभोक्ताओं में से लगभग 26 हजार लोगों के यहाँ ही स्मार्ट मीटर लगे हैं। बाकी के 1 लाख से ज्यादा उपभोक्ता अभी भी बिजली विभाग के मीटर रीडरों के भरोसे चल रहे हैं। क्योंकि उनके यहाँ स्मार्ट मीटर नहीं लग पाए हैं।
स्मार्ट मीटर लगाने का काम ठेका कंपनी पिछले दो साल से कर रही है। बाकी के 1 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं के यहाँ अभी भी विद्युत वितरण कंपनी आउटसोर्स कर्मचारियों को रखकर मीटर रीडिंग करवा रही है। पिछले दो महीनों से कई इलाकों में हर महीने होने वाली बिजली के मीटरों की रीडिंग लेने कोई नहीं पहुँच रहा है। आगर रोड तथा एमआर-5 मार्ग पर बनी एक दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में पिछले दो महीनों से मीटर रीडर नहीं पहुँचे हैं। इसके चलते लोगों को बिना रीडिंग के ही मनमाने बिल भेजे गए हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि हर महीने मीटर रीडिंग होने से उन्हें माह में 100 यूनिट या 150 यूनिट से कम बिजली की खपत पर शासन की सब्सिडी का फायदा मिलता था। परंतु दो माह बाद एक साथ रीडिंग होने से लोग इस फायदे से वंचित हो रहे हैं।
सवा लाख की रीडिंग के लिए 60 रीडर
पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने शहर के सवा लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं के यहाँ हर महीने मीटर रीडिंग के लिए 60 कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा है। ऐसे में एक उपभोक्ता को पूरे महीने में 2100 से ज्यादा मीटरों की रीडिंग के लिए पहुँचना पड़ रहा है। यही कारण है कि मीटर रीडर 3 या 4 महीने में एक या दो बार कई इलाकों में मीटर रीडिंग लेने नहीं पहुँचते हैं और इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। बिजली कंपनी न तो तेजी से स्मार्ट मीटर लगवा रही है और न ही मीटर रीडरों की संख्या बढ़ा रही है।
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