इन्दौर। जैसे-जैसे महू यार्ड (Mhow yard) में गेज कन्वर्जन (Gauge Conversion) का काम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे वहां मीटरगेज (Meter gauge) के कोच, इंजन (Coaches, engines) गायब होते जा रहे हैं। रेलवे ने उनकी नीलामी कर दी है और संबंधित ठेकेदार उन्हें तोडक़र भंगार में बदल रहा है। यार्ड में लंबे समय से खड़ी मीटरगेज की डेमू ट्रेन (DEMU train) भी कबाड़ में बदल गई है।
कभी यह ट्रेन इंदौर-महू के बीच चलती थी और तब यह मीटरगेज की पहली डेमू ट्रेन थी। विशिष्ट बनावट और आधुनिक कोचों के कारण यह यात्रियों में बहुत लोकप्रिय थी। हालांकि, बाद में राजनीतिक खींचतान के कारण इसे गुजरात भेज दिया गया। कुछ साल पहले मेहसाणा के आसपास गेज कन्वर्जन प्रोजेक्ट शुरू होने के कारण यह डेमू ट्रेन दोबारा महू भेज दी थी और तभी से यह बुरी स्थिति में यार्ड में खड़ी थी। डेमू ट्रेन के आसपास घनी झाडिय़ां उग आई थीं और पक्षियों-जानवरों ने इसके कोचों में अपना बसेरा बना लिया था। अब इसके चार-पांच कोच तोड़े जा चुके हैं। यार्ड में डेमू की तीन ड्राइवर पावर कार बची हैं, जिनमें से दो को गुजरात भेजा जाना है।
रेल प्रेमी पहुंचते थे देखने
मीटरगेज की डेमू ट्रेन को देखने के लिए आसपास के शहरों के रेल प्रेमी महू पहुंचते थे। सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी कई लोगों तक पहुंची थी। रेल प्रेमी मयंक करोसिया ने कहा कि रतलाम रेल मंडल को मीटरगेज की यादें सहेजना चाहिए। इसके लिए पातालपानी में संग्रहालय का विकास किया जा सकता है।
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