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    सालों से रडार योजना की राह देख रहा मौसम विभाग

  • October 15, 2024

    • डॉप्लर रडार लगने से 250 किमी तक के क्षेत्र की मौसम की जानकारी मिल सकेगी

    जबलपुर। लगभग 50 वर्ष पुरानी जबलपुर वेधशाला लंबे समय से डाबला रडार योजना की राह तक रही है। सरकार की ये योजना ठंडं बस्ते में चली गई। समूचे प्रदेश में राजधानी भोपाल ही एक ऐसा शहर है जहां डॉप्लर रडार के जरिए मौसम की लंबी दूरी तक जानकारी एकत्रित करते हैं। इससे पूर्व सरकार ने जबलपुर, ग्वालियर तथा इंदौर में भी इस योजना को लागू करने पर विचार किया था, लेकिन योजना कागजों में दफ्न हो गई। वर्तमान में रेडियो साउंड और रेडियो वेब के जरिए ही मौसम की जानकारी लगभग 60 से 70 किलोमीटर दूर तक का मौसम का हाल लिया जा सकता है। यदि डॉप्लर राडार लग जाता तो जबलपुर से लगभग ढाई सौ किलोमीटर दूर तक की मौसम की जानकारी एकत्रित करना मुमकिन था।



    लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मौसम विज्ञान कार्यालय 1975 से पहले राइटटाउन स्थित स्टेडियम के पास हवा घर के नाम से जाना जाता था बाद में आधारताल स्थित आनंद नगर के पास करीबन ढ़ाई एकड़ भूमि पर नया भवन तैयार हुआ। जहां से है आज भी संचालित हो रहा है। प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है यहां पर किसी शोध और वैज्ञानिक शोध के लिए खासकर रक्षा अनुसंधान के लिए बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। परंतु मौसम की सेवाओं के लिए बहुत लंबा इतिहास रहा है। लेकिन 50 वर्षों के दौरान कोई बहुत विकास नहीं हो पाया स्वचालित वेधशालाएं ठीक से काम नहीं कर पाई इसके विस्तार के लिए भी कोई योजना नहीं है। मध्य प्रदेश में प्रादेशिक मौसम केंद्र भोपाल को बजाने बनाए जाने की मांग थी लेकिन दुर्भाग्यवश इसका मुख्यालय आज भी नागपुर में है।
    भौगोलिक दृष्टि से तीन डॉपलर रडार इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर कॉलेज खोले जाने थे। परंतु किन्हीं कर्म वर्ष इस पर आज तक कोई कार्य नहीं हो पाया। डाबला रडार योजना आने से जबलपुर से लगभग 250 किलोमीटर दूरी तक की मौसम की जानकारी उपलब्ध हो सकेगी लेकिन अभी रेडियो साउंड और रेडियो वेव के जरिए ही मौसम की जानकारी एकत्रित की जा रही है जो 60 से 70 किलोमीटर रेंज तक की ही जानकारी ले पा रही है। जानकारों का मानना है कि सही सटीक पूर्वानुमान और किसी के लिए सही जानकारी के लिए मौसम की सेवाओं का विस्तार होना अति आवश्यक है। जिसमें लगभग हर जिले में वेश्यालय अंशकालीन वेधशालाएं ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन जरूरी है। परंतु यह सब दूर की कौड़ी लग रहा है। जबलपुर के पूर्व सांसद बाबूराव परांजपे ने भी इस दिशा में सार्थक प्रयास किए थे और संसद तक आवाज उठाई थी परंतु सफलता हासिल नहीं हुई। जानकार बताते हैं कि रेडियो साउंड और रेडियो वेव जबलपुर में ठीक से काम नहीं कर पा रहा है। इस दिशा में भी सार्थक प्रयास की जरूरत है।

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