नई दिल्ली: दुनिया की दिग्गज कंपनी ट्विटर और फेसबुक (Twitter and Facebook) की पेरेंट कंपनी मेटा (Meta) अपनी कर्मचारियों की छंटनी को लेकर खबरों में रही हैं. इससे दुनिया भर (Whole world) में काम करने वाले दोनों कंपनियों के कर्मचारियों पर बड़ा असर हुआ है. इतने बड़े स्तर पर हुई छंटनी लोगों को बिना सोचे-समझकर उठाया गया कदम लगता है. बहुत से लोगों ने इस बात को शेयर किया है कि उन्हें कैसे यह चौंकाने वाली खबर मिली. कुछ ने बताया उन्हें आधी रात या कुछ अपनी मैटरनिटी लीव (maternity leave) पर चल रहे थे, जब उन्हें यह सूचना प्राप्त हुई.
लेकिन मेटा के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg, head of Meta) का मानना है कि उन्होंने इस स्थिति को एलॉन मस्क से बेहतर संभाला है. शुक्रवार को कंपनी की हुई टाउनहॉल मीटिंग (townhall meeting) में उन्होंने कहा कि मस्क के साथ छंटनी को सोच-समझकर प्लान करने का समय नहीं था, जैसा मेटा और दूसरी कंपनियों के पास रहा था.
लेकिन जुकरबर्ग ने इस बात को माना कि अगर कंपनियां छंटनी पर सोच-समझकर योजना बनाती, तो भी कोई अच्छे जवाब नहीं मिलते. मेटा ने इस हफ्ते की शुरुआत में ऐलान किया था कि वे फेसबुक के 11,000 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर निकाल रही है. इसमें व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम के साथ कंपनी के मेटावर्स पर फोकस करने वाली रिसर्च टीम के लोग भी शामिल थें. जुकरबर्ग ने इस छंटनी को मेटा के इतिहास में उनके द्वारा लिए गए सबसे मुश्किल बदलाव बताया था.
जुकरबर्ग ने कंपनी के कर्मचारियों से कहा था कि वे इन फैसलों और यहां जिस तरीके से वे पहुंचे हैं, उसकी जिम्मेदारी लेते हैं. उन्होंने कहा था कि वे जानते हैं कि यह सभी लोगों के लिए मुश्किल है और वे जो लोग प्रभावित हुए हैं, उनसे खास तौर पर माफी मांगते हैं. नवंबर में ट्विटर ने अपने 50 फीसदी स्टाफ को बाहर का रास्ता दिखा गया है. सिर्फ अमेरिका में ही टेक कंपनियों ने अक्टूबर में 50 हजार से अधिक कंपनियों को बाहर निकाला है. कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने में भारतीय कंपनियां बायजूस, ब्लिंकिट और अनअकेडमी भी पीछे नहीं रही हैं. इस लिस्ट में टेक कंपनी इंटेल, सोशल मीडिया कंपनी मेटा, शॉपीफाई जैसी जानी-मानी कंपनियां शामिल हैं.
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