नई दिल्ली: मेटा व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस हौगेन (Meta whistleblower Frances Haugen) का कहना है कि अगर सोशल मीडिया (social media) में सुधार नहीं किया गया तो आने वाले सालों में लाखों लोगों (10 मिलियन से ज्यादा) की मौत हो सकती है. बिजनेसइनसाइडर इंडिया की खबर के मुताबिक, हौगेन ने संडे टाइम्स से यह बात कही है. हौगन ने साल 2021 तक फेसबुक में काम किया है, उन्होंने द फेसबुक फाइल्स के नाम से डॉक्यूमेंट लीक कर दिया, जिसे वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रकाशित किया. इसमें रिसर्च रिपोर्ट और कर्मचारियों के बीच की गई चर्चा भी शामिल है.
Instagram के प्रभावों को कम महत्व दिया
जर्नल ने रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए कहा कि मेटा ने किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर Instagram के प्रभावों को कम महत्व दिया. फेसबुक ने भारत में धार्मिक नफरत फैलाने में मदद किया. वॉशिंगटन पोस्ट के रिपोर्ट में कहा गया है कि हौगेन (Frances Haugen) ने एक वृत्तान्त लिखा है जिसमें वह कहती हैं कि सोशल मीडिया (social media) अभी भी पारदर्शिता की कमी के चलते डैमेज होता जा रहा है. वह लिखती हैं कि मेटा का मुनाफा “कोई नहीं जानता कि फेसबुक और इंस्टाग्राम के सार्वजनिक आख्यानों और सच्चाई के बीच कितना बड़ा अंतर है” पर निर्भर था.
सोशल मीडिया में सुधार की जरूरत
हौगेन मानती हैं कि सोशल मीडिया में सुधार की जरूरत है और साथ ही हमें सोशल मीडिया को समझने के तरीकों में सुधार करनी होगी. वास्तविकता यह है कि कल्चर को बदलना आसान नहीं है. उन्होंने (Meta whistleblower Frances Haugen) संडे टाइम्स से कहा कि मैं इस लिखे हुए वृत्तान्त को इस तरह देखती हूं कि कैसे हम इस पर सहमति बना सकते हैं. अगर हमने इस समस्या का समाधान नहीं किया तो अगले 20 साल में कई लोग मारे जाएंगे.
म्यांमार में नरसंहार के लिए फेसबुक का योगदान
रॉयटर्स की रिपोर्ट कहती है कि साल 2018 में, संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने कहा कि म्यांमार में नरसंहार के लिए फेसबुक ने काफी योगदान दिया. एक ब्रिटिश किशोर की आत्महत्या के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद इंस्टाग्राम ने कई नीतिगत बदलाव किए. दुनियाभर में ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें उस घटना की वजह सोशल मीडिया (social media) थी.
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