महिदपुर। किसी भी समस्या का विकल्प दिए बिना मात्र विरोध करना अधर्म और पाप है। उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि जितना समय शक्ति और पैसा विरोध में लगाते हैं यदि उसका उपयोग विकल्प तैयार करने में लगाया जाए इससे बड़ा और कोई धर्म नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी महापुरुषों ने ज्वलंत समस्याओं को समाधान करना भी धर्म का अभिन्न अंग बताया है। दुर्भाग्य है धर्म ही समस्या का अंबार बन चुका है।
हटा ग्रह और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर उनका जीवन नर्क में बना रहे हैं। मुनि कमलेश ने बताया कि विरोधअशांति टकराव कलह और परस्पर कड़वाहट पैदा करता है नफरत पैदा करता, राष्ट्रसंत ने कहा कि मात्र विरोध के लिए विरोध करना नादानी है समस्या के लिए सत्ता में है। समाधान की बात करेंगे और विपक्ष में है तो समाधान का विरोध करेंगे यह मानवता के साथ सरासर अन्याय है। जैन संत ने कहा कि मानव उत्थान का विषय हो तो दलगत भावना से ऊपर उठकर स्वार्थ अहंकार से परे होकर सभी आपस में मिलकर समस्या का विकल्प देना शुरू करें तो धरती तीर्थ और स्वर्ग के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। पूज्य अक्षत मुनि ने कहा कि महापुरुषों का लक्ष्य विषमता को दूर करके समता और शांति मार्ग की स्थापना करना होता है। पूज्य घनश्याम मुनि जी ने कहा कि महापुरुषों के सिद्धांतों को आत्मसात करना सबसे बड़ी भक्ति और पूजा है। पूज्य कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया।
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