भोपाल। जेल की चारदिवारी कैदियों को मानसिक रोगी बना रही है, ये हम नहीं मनोचिकित्सा विभाग की रिपोर्ट बता रही है। रीवा सेंट्रल जेल में इसके लिए कैदियों को योग मेडिटेशन करा कर शांत करने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं। दिमागी संतुलन बिगडऩे के पीछे डिप्रेशन बताया जा रहा है। रीवा के संजय गांधी अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि रीवा जेल में बंद कैदियों की दिमागी हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रही है। बताया गया है कि यहां 2000 से ज्यादा कैदी बंदी हैं, जिनमें से 74 कैदी मानसिक रोग के शिकार हैं। इनमें कुछ तो पागलपन की स्थिति तक पहुंच गए हैं। इनमे से अधिकांश कैदी पहले डिप्रेशन के शिकार होते हैं तो यह समस्या धीरे-धीरे मानसिक रोग में तब्दील हो जाती है। इसके पीछे डिप्रेशन बताया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी अनुसार बीते कई दिनों से रीवा जेल में बंद कैदियों में मानसिक बीमारी की समस्या बनी हुई है। 74 कैदी ऐसे हैं, जिनका दिमागी संतुलन ठीक नहीं है। इनमें से कुछ तो पागलपन की स्थिति तक पहुंच गए हैं। जेल प्रशासक को भी इन कैदियों का ध्यान रखने में समस्या होती है। इसके अलावा रीवा जेल अधीक्षक एसके उपाध्याय के प्रयासों से दिमागी टेंशन से निपटने के लिए कैदियों को योग मेडिटेशन करा कर शांत करने पर प्रयास किया जा रहा है।
दूसरे कैदियों की सुरक्षा और मानसिक रूप से ग्रसित कैदियों की दिमागी हालत के मद्देनजर गंभीर रूप से बीमार कैदियों को दूसरों से अलग शिफ्ट करने की व्यवस्था की गई है। ताकि वे दूसरे कैदियों को संक्रमित ना फैला सकें। सामान्य रूप से बीमार कैदियों को दूसरे कैदियों के साथ रखा जाता है। ताकि उनसे बातचीत करके उनका टेंशन दूर कर सकें। रीवा जेल अधीक्षक एसके उपाध्याय ने बताया कि केंद्रीय जेल रीवा में बंद करीब 74 कैदी मानसिक बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। इनका नियमित इलाज जेल के अंदर किया जा रहा है। हर हफ्ते मानसिक रोग विशेषज्ञ जांच के लिए आते हैं। कैदियों का तनाव दूर करने के लिए काउंसलिंग सहित दूसरे तरीके अपनाए जा रहे हैं। मेडिटेशन योग भी कराया जा रहा है।
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